script#AkhirKyun गरीब के कंधे पर ही है उसकी जिंदगी | Uttar Pradesh Hospital worst cases | Patrika News

#AkhirKyun गरीब के कंधे पर ही है उसकी जिंदगी

locationलखनऊPublished: Aug 30, 2016 06:22:00 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

ज्यादा पीछे नहीं जाते हैं औऱ सिर्फ एक महीने के अंदर यूपी के अस्पतालों में हुई वारदातों को उठा कर देखें तो लापरवाही की तस्वीर सामने आ जाएगी।

Hospital

Hospital

लखनऊ. कानपुर में बच्चों को अपने कंधे पर ले जा रहे शख्स का मजाक उड़ाया गया। ऐसा मजाक जो लगातार कईयों के साथ किया जा चुका है और लगातार जारी है। रुकने का नाम नहीं ले रहा हैं औऱ सरकारी महकमे के लोग इसका आनंद उठा रहे हैं। कानपुर में अस्पतालों के चक्कर काटते काटते एक पिता ने जब अपना बच्चा खोया को इंसानिस एक बार फिर शर्मसार हुई। इसकी वारदात की वजह अस्पताल कर्मचारियों द्वारा बरती गई लापरवाही रही। गंभीर मामले में बरती गई ढ़िलाई सरकार के उन दावों को खोखला साबित कर रहा हैं, जिसमें बताया गया था कि मजबूरों को निशुल्क और बिना देरी के अस्पतालों में इलाज मिलेगा।

ऐसी वारदातों से अस्पतालों में लापरवाही के मामलों की फेहरिस्त लगातार बढ़ाती जा रही है, लेकिन महकमा है कि सबक लेने का नाम ही नहीं ले रहा है। ज्यादा पीछे नहीं जाते हैं औऱ सिर्फ एक महीने के अंदर यूपी के अस्पतालों में हुई वारदातों को उठा कर देखें तो लापरवाही की तस्वीर सामने आ जाएगी।

1. हीला हवाली का एक नजारा सोमवार को बाराबंकी में ही देखने को मिला, लालगंज सरकारी अस्पताल के सर्जन की लापरवाही के चलते आग से घायल युवक घण्टों अस्पताल के इमरजेंसी स्टेचर पर तड़पता रहा। पता चला कि सर्जन ने स्थानांतरण होने की बात कहकर इलाज करने से मना कर दिया। परिजनों ने चिकित्सकों द्वारा बरती जा रही ढ़िलाई की सूचना मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को दी तो उन लोगों दबाव डाला जिसके बाद ही सर्जन के द्वारा घायल मयंक मिश्रा का इलाज किया गया। घायल मयंक की मां सरोज मिश्रा ने बताया कि करीब चार घण्टे की तक उनका बेटा हीला हवाली के चलते तड़पता रहा।

2. आईये अब आपको ले चलते हैं गाजियाबाद में जहां नौसीखिया डॉ़क्टर ने एक 5-वर्षीय बच्चे को गलत तरीके से इंजेक्शन लगा दिया जिसकी वजह से उसकी अस्पताल में ही मौत हो गई। मासूम के परिवार के लोगों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। परिवार के लोगों का आरोप है कि गलत तरीके से मासूम को इंजेक्शन लगाया गया था। इसकी वजह से उसकी तबीयत अचानक से बिगड़ गई। परिवार के लोगों ने कविनगर थाने में लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत भी की है।

3. बहराइच में सरकार की योजनाओं की पोल खोलती एक और तस्वीर सामने आई थी। जहां के जिला अस्पताल में महज 20 रुपए न दोने की वजह से एक मां ने अपने 7-वर्षीय बच्चे को खो दिया। अस्पताल में इस बच्चा बुखार से तड़प रहा था कि ड्यूटी पर तैनात स्टाफ द्वारा इंजेक्शन लगाने के नाम पर 20 रूपये की डिमांड की गयी, लेकिन गरीब तबके की महिला ने रूपये न होने का हवाला दिया तो स्टाफ द्वारा इंजेक्शन नहीं लगाया गया। और फिर वहीं हुआ जिसका डर था। मासूम की हालत काफी गंभीर हो गयी और इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गयी।

अब और कितने मासूम और मजबूर ऐसे ही अपनी बली देते रहेंगे। चुनाव नजदीक है तो ये हाल है। बात काफी हद तक साफ है, सरकार अपनी नीतियों को सजावट के साथ सभी के सामने परोस देती है, लेकिन अंदरूनी कार्य पर वो ढ़िलाई बरत रही हैं, जिससे अंत में मजबूर जनका को धोखा के सिवाए और कुछ नहीं मिलता। सवाल हमारा वहीं है #आखिरक्यों ? क्यां चंद रूपए किसी की जान से बढ़कर है?
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो