उत्तर प्रदेश में धीरे-धीरे हिलोरे लेने लगी चुनावी हलचल, तो जातियों को रिझाने में जुट गईं ये राजनीतिक पार्टियां
- शामली में संजीव बालियान का विरोध, गांव में घुसने पर रोका
- खाप प्रतिनिधियों से मिलने पहुंचे केंद्रीय मंत्री वापस लौटे
- प्रियंका निषाद और मछुआरों को लुभाने घूम रहीं गंगा तीरे, जोड़ रहीं जमीन से रिश्ता
- ओबीसी और मुस्लिमों पर डोरे डाल रहे अखिलेश यादव

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में चुनावी हलचल अब धीरे-धीरे हिलोरे लेने लगी है। यूपी में जाति फैक्टर हमेशा से हावी रहा है। इसीलिए प्रदेश में सभी राजनीतिक दल जातियों को साधने पर खासा फोकस रखते हैं। हकीकत यह है कि अमूमन हर चुनाव में राजनीतिक पार्टियां जातिगत आधार पर ही सारे सियासी फैसले लेती हैं। एक तरफ कांग्रेस अब राज्य में जाति और वर्ग, दोनों को संभालते हुए राजनीति करना चाहती है। तो भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व के एजेंडे के सहारे आगे बढ़ रही है। वहीं सूबे में 22 फीसदी मुस्लिम वोटों पर भी कांग्रेस की नजर है, जिसके लिए प्रियंका गांधी तमाम कवायद में जुटी हैं। ऐसे में अखिलेश यादव अपने परंपरागत वोटों को किसी भी सूरत में पार्टी से दूर नहीं देना चाहते हैं। हालांकि नए कृषि कानूनों को लेकर बीजेपी के मेगा प्लान पर किसानों का गुस्सा कुछ ज्यादा भारी पड़ रहा है। यही कारण है कि जगह-जगह बीजेपी नेताओं को किसानों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है। ताजा मामला केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान से जुड़ा है। उन्हें शामली में भारी विरोध का सामना करना पड़ा। वह नए कृषि कानूनों के फायदे बताने पहुंचे थे, लेकिन इस दौरान बीजेपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। जिसके चलते उन्हें वहां से बैरंग वापस लौटना पड़ा।
शामली में संजीव बालियान का विरोध
शामली में कृषि कानूनों का फायदा बताने पहुंचे केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। शामली जिले के भैंसवाल गांव में बीजेपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। जैसे ही संजीव बालियान गांव में पहुंचे, ग्रामीणों ने उनके काफिले के सामने ट्रैक्टर सटाकर उनको गांव में जाने से रोक दिया। भारी विरोध के बाद संजीव बालियान ने कहा कि कुछ लोगों के विरोध करने और मुर्दाबाद बोलने से मैं मुर्दाबाद नहीं हो जाऊंगा। विरोध के बाद उनका काफिला गांव से लौट गया। दरअसल केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की अगुवाई में बीजेपी नेताओं को खाप चौधरियों से मुलाकात करनी थी। जब बीजेपी नेता उनके पास पहुंचे तो उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया और गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हो गए। खाप चौधरियों का कहना है कि वह किसी भी मंत्री से नहीं मिलेंगे।
प्रियंका निषाद और मछुआरों को लुभाने घूम रहीं गंगा तीरे
हाथ में रुद्राक्ष, संगम में डुबकी, मंदिर यात्राएं और अब किसान महापंचायत। बीते कुछ हफ्तों से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा लगातार सुर्खियों में बनी हुईं हैं। वह इन दिनों निषाद और मछुआरों को लुभाने गंगा तीरे घूम रहीं हैं। माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी के ये प्रयास उत्तर प्रदेश में पार्टी को फिर से जीवित करने के लिए हैं। उनके इन कामों से एक चीज और साफ हो रही है कि वे अब राज्य में जाति और वर्ग, दोनों को संभालते हुए राजनीति करना चाहती हैं। यही वजह है कि प्रियंका गांधी प्रयागराज को सियासी केंद्र बनाने में जुट गई हैं। प्रयागराज के जरिए कांग्रेस पूरे पूर्वांचल में अपनी पैठ मजबूत करने की रणनीति अपना रही है। पिछले दस दिनों के अंदर दो बार प्रयागराज का दौरा करके राजनीतिक समीकरण साधने की कवायद करती नजर आई है। प्रयागराज के बसवार गांव में पुलिस ज्यादती का शिकार हुए निषाद समुदाय के पीड़ितों से मुलाकात कर प्रियंका उनके जख्मों पर मरहम लगाने की कवायद करती दिखीं। जिससे साफ है कि कि उनकी नजर निषाद और मछुआरों के वोटों पर है।
ओबीसी और मुस्लिमों पर डोरे डाल रहे अखिलेश यादव
सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने परंपरागत वोटों को किसी भी सूरत में पार्टी से दूर नहीं होने देना चाहते हैं। प्रयागराज में प्रियंका निषाद समुदाय के बीच रहीं तो अखिलेश मुस्लिम समुदाय के साथ दिखाई दिये। अखिलेश यादव ने प्रयागराज में पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी के सरोजिनी नायडू मार्ग स्थित निवास पर पार्टी और मुस्लिम समुदाय के चुनिंदा लोगों से मुलाकात कर अपने समीकरण को मजबूत करने की कोशिश की। दरअसल सूबे में 22 फीसदी मुस्लिम वोटों पर कांग्रेस की भी नजर है, जिसके लिए प्रियंका गांधी तमाम कवायद में जुटी हैं। ऐसे में अखिलेश यादव अपने परपरागत वोटों को किसी भी सूरत में पार्टी से दूर नहीं देना चाहते हैं। इसके अलावा अखिलेश ओवीबी वोटों को भी अपने पाले में करने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं।
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