ये वीर योद्धा थे लोरिक और इनको 200 किमी दूर सोनभद्र के अगोरी स्टेट की राजकुमारी मंजरी से प्यार हो गया था। मां काली के भक्त लोरिक बहुत बलवान थे। उनकी तलवार 85 मन की थी। वो अकेले ही हजारों की सेना से टक्कर लेने में सक्षम थे। लोरिक ने अपने प्यार को पाने की खातिर जहां, अकेले ही एक मजबूत सेना का मुकाबला किया था, वहीं प्रेमिका के कहने पर तलवार के एक ही वार से चट्टान के दो टुकड़े कर दिए थे।
यूद्ध में विजय के बाद जब वीर लोरिक अपनी प्रेमिका मंजरी को विदा कराकर ला रहे थे। उनकी डोली जब मारकुंडी पहाड़ी (वर्तमान में वाराणसी का शक्तिनगर) पर पहुंची। दूल्हन ने कहा कि हे वीर कुछ ऐसा करो कि हमारे प्यार को यहां के लोग याद रखें। तब लोरिक ने अपनी भारी तलवार के एक ही वार से एक बड़ी चट्टान के दो टुकड़े कर दिये। तब मंजरी उस खंडित शिलान्यास से अपने मांग का सिंदूर भरा था। उनकी याद में आज भी उस स्थान पर अद्भुत प्रेम के प्रतीक के तौर पर खंडित शिलान्यास आज भी मौजूद हैं।
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