पता लगा लापरवाही के कारण का मुख्यमंत्री द्वारा तीन सदस्यीय टीम बनाई गयी, जो कि वाराणसी पुल हादसे की जांच करे। इस कमेटी के लीड कर रहे हैं एसपी राज प्रताप सिंह। वाराणसी पुल हादसे में तकनीकि टीम ने जांच कर लापरवाही के कारण का पता लगाकर रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी, जिसमें पुल के निर्माण में कई खामियों का पता लगा।
रिपोर्ट में पता लगा इन खामियों का कॉलम के बीच में ढाली गयी इन बीमों को क्रॉस बीम से टाई नहीं किया गया था। बीम्स की गुणवत्ता का रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं था। उनकी जांच अधिकारियों द्वारा नहीं की गयी थी। निर्माण की ड्राइंग का अनुमोदन नहीं था। कॉलम के बीच में टाईबीम भी नहीं था। फ्लाीओवर निर्माण के दौरान कार्यस्थल की बैरिकेडिंग नहीं की गयी। फ्लाईओवर के नीचे वाले ट्रैफिक के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी थी। रिपोर्ट में दोषी पाए गए अफसरों में से सेतु निगम के एमडी राजन मित्ल को उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया और उनकी जगह जेके श्रीवास्तव को सेतु निगम का प्रबंधक बनाया गया है।
दिसंबर तक था काम पूरा करने का दबाव इसके साथ ही ये बात भी सामने आई कि प्रधानमंत्री का संस्दीय क्षेत्र होने की वजह से जिला प्रशासन और अन्य विभागों की ओर से सेतु निगम पर काम पूरा करने का दबाव डाला गया था। फ्लाईओवर का काम दिसंबर 2018 तक किसी भी हाल में कार्य पूरा किए जाने का दबाव था।
वाराणसी पुल हादसा मंगलवार यानि कि 15 मई को करीब शाम 5:30 बजे हुआ था। हादसे से सहमे कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी और कई इसमें घायल तक हुए थे। इसके बाद हादसे की जांच की गयी, जिसमें कई खामियों का पता लगा। साथ ही ये बात भी सामने आई कि मृतकों की डेड बॉडी देने के लिए अस्पताल का स्टाफ 200 रुपये लेने की मांग कर रहा था, जो कि गलत है।