क्या आतंकियों के निशाने पर है रेल पटरियां उत्तर प्रदेश में रेल पटरियों के कटे या चिटके होने से दुर्घटनाओं के बाद लगातार आतंकी साजिशों की आशंका जताई जाती रही है। चित्रकूट के पास इससे पूर्व रेल पटरियों के क्षत्रिग्रस्त होने के मामले में नक्सली सक्रियता की भी संभावनाएं जताई गई थी और शासन ने तब मामले की ख़ुफ़िया जांच के आदेश दिए थे। इसी साल अगस्त महीने में मुजफ्फरनगर में कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी जिसमें 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। उस मामले में भी एटीएस को जांच का जिम्मा सौपा गया था। रेलवे ने अलग से मामले की जांच के आदेश दिए थे। इन सभी जांचों का नतीजा अब तक सामने नहीं आ सका है।
अलग-अलग जांचे, अलग-अलग नतीजे दरअसल रेलवे की बड़ी घटनाओं के बाद अलग-अलग जांचों का मकसद घटना के मुख्य कारण की पड़ताल होता है लेकिन सरकारी जांच एजेंसियां इस बात पर अधिक ध्यान केंद्रित करती हैं कि उनकी जांच रिपोर्टों में कहीं विरोधाभास न हो। इस कारण कई बार जांच की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और घटना के असल कारण तक पहुंचने में भी देरी होती है। पिछले एक साल में हुए रेल दुर्घटनाओं को लेकर गठित जांच कमेटियों की रिपोर्ट आने में देरी का नतीजा है कि रेल हादसों की संख्या पर रोक लगाना पाना संभव नहीं हो पा रहा है।
मानिकपुर रेल हादसे की जांच करेगी एटीएस मानिकपुर रेल हादसे की जांच एक बार फिर एटीएस को सौंपी गई है। इस मामले की जांच एटीएस की कानपुर एटीएस को सौंपी गई है। रेलवे और यूपी सरकार ने अभी तक इस घटना के पीछे आतंकी साजिश की संभावना से इंकार नहीं किया है। इस मामले में रेलवे पुलिस और आरपीएफ एटीएस की मदद करेगी। इसके अलावा रेलमंत्री पीयूष गोयल ने विभागीय जांच के भी आदेश दिए हैं। घटना के बाद इलाहाबाद दौरे पर पहुंचे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी मानिकपुर पहुंचे और घटनास्थल का जायजा लिया।