विश्वविद्यालयों का मानना है कि ज्यादातर छात्र अभी ऑनलाइन परीक्षाएं दे पाने में सक्षम ही नहीं हैं। इस कारण पुरानी पद्धति से ही परीक्षाएं कराने के लिए समय-सारिणी बनाई गई है। बस हालात सामान्य होने का इंतजार किया जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण लंबा लॉक डाउन होने से विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं अधर में फंस गई हैं। ऐसे में, परीक्षाओं के लिए नया पैटर्न अपनाने पर भी विचार होने लगा है।
छात्र नहीं टेक्नोलॉजी सेवी दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह ने कहा कि अगर ऑनलाइन परीक्षा आयोजित कराई जाती है, तो छात्रों को परीक्षा केंद्र आना होगा। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन परीक्षा के लिए अलग तरह के साधन की जरूरत होती है, जिसमें बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं। छात्र अभी इतने टेक्नोसेवी नहीं हैं। ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा के विचार पर कॉलेज प्रशासन हिचक महसूस कर रहा है।
ऑनलाइन परीक्षा प्रक्रिया खर्चीली इसी तरह डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि ऑनलाइन परीक्षा एक अच्छा विकल्प तो है लेकिन इसके लिए आधारभूत संचरना का विकास करना होगा। ऑनलाइन परीक्षा की प्रक्रिया खर्चीली है। इसमें एक छात्र पर औसतन 1,200 रुपये तक का खर्च आएगा। इस खर्च को कौन वहन करेगा इस पर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।