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Vishwakarma Jayanti Special : मनकामेश्वर महिला सिलाई केन्द्र शुरू

locationलखनऊPublished: Sep 17, 2020 07:21:52 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महंत देव्यागिरी ने की पहल,विश्वकर्मा पूजन के अवसर पर किया गया उद्घाटन

Vishwakarma Jayanti Special : मनकामेश्वर महिला सिलाई केन्द्र शुरू

Vishwakarma Jayanti Special : मनकामेश्वर महिला सिलाई केन्द्र शुरू

लखनऊ हिंदू धर्म में ब्रह्मांड के दिव्य वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित विश्वकर्मा जयंती, डालीगंज के प्रतिष्ठित मनकामेश्वर मंदिर में बिलकुल अलग अंदाज में मनायी गई। वहां मठ-मंदिर की महंत देव्यागिरी की अगुआई में महिला सशक्तिकरण के लिए मनकामेश्वर महिला सिलाई केन्द्र का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर मंदिर परिसर में भोर की विशेष आरती पूजन भी किया गया।
महंत देव्यागिरी ने बताया कि हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। मान्यता है कि चार युगों में विश्वकर्मा ने सबसे पहले सत्ययुग में स्वर्गलोक का निर्माण किया। त्रेता युग में लंका का, द्वापर में द्वारका का और कलियुग के आरम्भ के 50 साल पहले हस्तिनापुर और इन्द्रप्रस्थ का निर्माण किया। ऋग्वेद में, विश्वकर्मा सुक्त के नाम से, 11 ऋचाएं लिखी हुई है। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रेरक भगवान विश्वकर्मा का विश्व को यही संदेश है कि कर्म ही जीवन का आधार है। सात्विक कर्म निर्माण के साथ-साथ विकास का आधार बनता है।
उन्होंने बताया कि ऐसे पावन दिवस पर महिला सशक्तिकरण के लिए जो सिलाई केन्द्र शुरू किया है उसमें 12 सिलाई मशीनों की मदद से दर्जन भर से अधिक महिलाओं को अलग-अलग सत्रों में जहां सिलाई का हुनर सिखाया जाएगा वहीं उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया जाएगा। कोरोना संकट काल में यह समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार को आर्थिक रूप से सबल भी बनायेगा। इस महा अभियान में जल्द ही महिलाओं को कच्चे माल की खरीदारी और तैयार माल के विक्रय का हुनर भी सिखाया जाएगा।
इसमें योजना का लाभ किसी भी उम्र की महिला प्राप्त कर सकती है। सिलाई केन्द्र प्रशिक्षिका उपमा पाण्डेय ने बताया कि मनकामेश्वर सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र के उद्घाटन सत्र में सिलाई सीखने के लिए जिन महिलाओं को पंजीकृत किया गया है उनमें सुनीता चौहान, मेघा, ऋतिका, तुलसी, कोमल, निशा, रनू, मालती, सोनाली, विधि सहित अन्य शामिल है। इस अवसर पर सेवादारों ने मंदिर परिसर की सजावट की और महिलाओं ने भजन कीर्तन किया।
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