विटामिन-डी एक स्टेरॉइड (खास रासायनिक) विटामिन है, जो आंतों से कैल्शियम को सोखकर हड्डियों में पहुंचाता है।हमारी बॉडी में इसका निर्माण हाइड्रॉक्सी कोलेस्ट्रॉल और अल्ट्रावॉयलेट किरणों की मदद से होता है।इसेक अलावा शरीर में रसायन कोलिकल कैसिरॉल पाया जाता है, जो विटामिन डी बनाता है।
किसी कि त्वचा अगर सांवली है, तो जाहिर है कि उन्में विटामिन-डी की भारी कमी है। सांवले रंग के कारण पैराबैगनी किरणें ठीक तरह से त्वचा तक पहुंच नहीं पातीं।इस वजह से उनमें विटामिन-डी की कमी हो जाती है। जबकि शरीर में ३० से ८० मिलीग्राम विटामिन डी होना ही चाहिए।
जिन लोगों में विटामिन डी की कमी है उन्हें खास तौैर से अपने खानपान पर
ध्यान देना चाहिए।हालांकि कुछ लोगों में सांवलापन जेनेटिक होता है। ऐसा नहीं है कि विटामिन-डी की कमी सिर्फ सांवले लोगों में ही हो सकती है। ये कमी किसी में भी पायी जाती हैं।लेकिन सांवले लोगों में चान्सेस ज्यादा होते हैं।
लखनऊ के डॉक्टर रोहित गुप्ता बताते हैं कि विटामिन-डी की कमी देश में आधे से ज्यादा लोगों में पायी जाती है। उनके पास कई ऐसे पेशंट्स आते हैं, जिनमें अधिकतर किसी न किसी वजह से विटामिन-डी की कमी होती है। ऐसै में अपने खानपान पर ध्यान देना जरूरी है। मतलब इस बात से नहीं हा कि आप कितना खा रहे हैं, मैटर ये करता है कि आप क्या खा रहे हैं।
विटामिन-डी की कमी कई गंभीर बीमारियों को दावत दे देती है, जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, हृदय रोग, कैंसर, मल्टीपल स्केलरोसिस और इंफेक्शन से जुड़ी बीमारियां जैसे ट्यूबरोकुलोसिस या फिर मौसमी बुखार। जिन लोगों में क्रॉनिक किडनी की सम्सया है, उन्में विटामिन-डी की कमी पायी जाती है।क्लीनिकल जर्नल ऑफ द अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी में प्रकाशित शोध के मुताबिक विटामिन डी की कमी को पूरा करके किडनी रोग से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि विटामिन-डी की कमी से कैंसर, दिल की बीमारी और ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी कमजोर होने की बीमारी) समेत अन्य बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है। क्या है कारण इन चीजों से नहीं होगी विटामिन-डी की कमी