वसीम रिजवी के मुताबिक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पेशे से वकील कोर्ट में ये बात पहले ही कहे चुके है कि इस केस की सुनवाई 2019 के बाद कि जाए क्यो की राम मन्दिर निर्माण का मुद्दा बीजेपी के एजेंडे में है,कोर्ट ने उनकी ये दलील ठुकरा दी थी। राम मन्दिर मामले में देश को बांटने की साजिश कांग्रेस ने ही की थी, विवादित स्थल का ताला खुलवा कर।
वसीम रिजवी अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। इससे पहले उन्होंने इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र लिखकर हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं मस्जिदों को हिंदू समाज को वापस किए जाने की मांग की थी। रिजवी ने पत्र में लिखा, इतिहास गवाह है कि मुगलों और उनके पहले के सुल्तानों ने हिंदुस्तान को लूटा, यहां हुकूमत की और तमाम मंदिरों को तोड़ा और कुछ पर मस्जिदें बना दीं।
इन मंदिर-मस्जिदों का दिया हवाला वसीम के मुताबिक, राम मंदिर को तुड़वाकर बाबरी मस्जिद बनाई गई, केशव देव मंदिर को औरंगजेब ने तुड़वाकर मस्जिद बनवाई थी, फिरोज शाह तुगलक ने अटाला देव मंदिर तुड़वाकर अटाला मस्जिद बनवाई थी, काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई गई थी, गुजरात के भटना में रुद्रा महालया मंदिर को तुड़वाकर अलाउद्दीन खिलजी ने जामी मस्जिद बनवाई थी, गुजरात के अहमदाबाद में भद्रकाली मस्जिद को तुड़वाकर अहमदशाह ने जामा मस्जिद बनवाई, पश्चिम बंगाल के पंडुवा में हिंदू व बुद्ध मंदिरों को तुड़वाकर अदीना मस्जिद बनवाई, औरगंजेब ने मध्य प्रदेश के विदिशा में विजयामंदिर को तोड़कर वीजामंडल मस्जिद बनवाई और मस्जिद कुवतुल इस्लाम व कुतुब मीनार जैन मंदिरों को तोड़कर कुतुबउद्दीन ऐबक ने बनवाया था। वसीम रिजवी ने कहा है कि मैंने इस पत्र में मस्जिदों और मंदिरों से संबंधित विवरण भी पेश किए हैं।