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चाइल्ड पॉर्नोग्राफी बनाना ही नहीं देखना भी है अपराध, जानें कितनी होती है सजा

locationलखनऊPublished: Nov 17, 2021 03:18:27 pm

Submitted by:

Prashant Mishra

पोर्न फिल्में बनाना, अश्लील कंटेंट को शेयर करना और चाइल्ड पॉर्नोग्राफी देखना यह सब आईटी कानून 2008 की धारा 67 (ए) और आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 500, 506, 509 के तहत आता है। कानून के तहत पहली बार अपराध करने पर 5 साल तक सजा और दस लाख का जुर्माना हो सकता है। वही दोबारा ये काम करने पर सजा को बढ़ाकर 7 साल कर दिया जाता है।

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लखनऊ. चाइल्ड पॉर्नोग्राफी को लेकर सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सहित देश के कई इलाकों में छापेमारी की। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में भी एक युवक से लंबी पूछताछ की गई। कार्यवाही के बाद खुलासा हुआ कि देश में बड़े पैमाने पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का गोरखधंधा चल रहा है। पोर्नोग्राफी आसानी से मोबाइल फोन पर इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध है। सवाल है पोर्नोग्राफी को लेकर देश में क्या नियम-कानून है। क्या पोर्न देखना भीअपराध है? यह सब कुछ जानने के लिए पढि़ए यह खबर-
अश्लील कंटेंट शेयर करना जुर्म

अब जब पूरे देश में पॉर्नोग्राफी को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं तो यह जान लीजिए भारत में पोर्न देखना अपराध नहीं है। लेकिन, चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना न केवल अपराध है बल्कि इसके लिए सात साल तक की सजा का भी प्रावधान है। पोर्न फिल्में बनाना, अश्लील कंटेंट को शेयर करना और चाइल्ड पॉर्नोग्राफी देखना यह सब आईटी कानून 2008 की धारा 67 (ए) और आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 500, 506, 509 के तहत आता है। कानून के तहत पहली बार अपराध करने पर 5 साल तक सजा और दस लाख का जुर्माना हो सकता है। वही दोबारा ये काम करने पर सजा को बढ़ाकर 7 साल कर दिया जाता है।
पोर्नोग्राफी कंटेट कंप्यूटर में सेव करना अपराध

चाइल्ड पोर्न के अलावा भारतीय कानून के तहत विदेशों से संचालित होने वाली पोर्नोग्राफी वेबसाइट के कंटेंट को अपने लैपटॉप में सेव करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। यह भी आईटी कानून 2008 के अंतर्गत अपराध माना जाता है। सामान्य पोर्नोग्राफी देखना अपराध नहीं है लेकिन पॉर्नोग्राफी को शेयर करना अपराध की श्रेणी में आता है।
करोड़ों की इंडस्ट्री है पोर्नोग्राफी

पोर्नोग्राफी का गोरखधंधा लंबे समय से चलता आया है। यह करोड़ों की इंडस्ट्री है। देश में तमाम वेबसाइट इंटरनेट के माध्यम से और पोर्न परोस रही हैं। जिनमें से ज्यादातर वेबसाइट विदेशों में स्थापित हैं। ऐसे में भारतीय कानून के दायरे में यह नहीं आतीं। लिहाजा सरकार चाहते हुए भी इन पर कार्यवाही नहीं कर पाती। हालांकि, इन वेबसाइट के कंटेन्ट को अपने मोबाइल में सेव करना व शेयर करना अपराध माना जाता है। इसके सजा का प्रावधान है।
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