गांधी ने आवश्यकता से अधिक सभी वस्तुओं को छोड़कर सीमित साधनों के साथ जीवन जिया। शरीर पर अंगी और धोती को धारण करना गांधी के अपरिग्रह का साक्षात प्रमाण है।गांधी ने जो कहा उसको अपने जीवन में उतार कर जनता के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया।
सभाध्यक्ष के रूप में लालबहादुर शास्त्री संस्कृत वि.वि.,नई दिल्ली के प्रो.वीर सागर जैन,नई ने कहा कि गांधी की अहिंसा का सीधा संम्बन्ध मानवीय पीड़ाओं के समाधान से था। गान्धी ने अहिंसा जीने की कला है यह सिद्ध कर दिखाया। सभी वक्ताओं के विचारों को समन्वित करते हुये कहा कि वर्तमान युग में गान्धी ने अहिंसा द्वारा न केवल देश को स्वतंत्र कराया वरन् अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा को स्थापित किया।