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गजब! यहाँ लड़कियाँ अपने आप बन जाती हैं लड़का

locationलखनऊPublished: Nov 23, 2021 12:47:42 pm

Submitted by:

Vivek Srivastava

Mysterious Village: अभी हाल ही में एक यूपी के बरेली से खबर आयी थी कि यहाँ एक रेलवे का इंजीनियर राजेश पाण्डेय, जेंडर चेंज करा कर सोनिया पाण्डेय बन गया है और अब जल्द ही किसी की दुल्हन बनेगा। मगर आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि दुनिया में एक जगह ऐसी भी है जहाँ 12 साल की उम्र तक आते-आते लड़कियाँ अपने आप लड़का बन जाती है।

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Mysterious Village: अभी हाल ही में एक यूपी के बरेली से खबर आयी थी कि यहाँ एक रेलवे का इंजीनियर राजेश पाण्डेय, जेंडर चेंज करा कर सोनिया पाण्डेय बन गया है और अब जल्द ही किसी की दुल्हन बनेगा। कुछ साल पहले भी ऐसा ही एक केस सामने आया था जब प्रयागराज के यूपी बोर्ड में हाई स्कूल के एक सर्टिफिकेट में जेंडर चेंज करने का प्रार्थना पत्र दिया गया था। बोर्ड के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी ने मार्कशीट में अपने जेंडर बदलवाने की गुजारिश की थी। ऐसा नहीं कि ये पहला या दूसरा मामला हो। इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। मगर इन मामलों में युवक या युवती खुद जेंडर चेंज करवाते हैं।
मगर आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि दुनिया में एक जगह ऐसी भी है जहाँ 12 साल की उम्र तक आते-आते लड़कियाँ अपने आप लड़का बन जाती है। ऐसा होता है एक बीमारी की वजह से जिसमें 12 साल की होते-होते लड़कियों में अंडकोश विकसित होने लगते हैं। जी हाँ ये मामला है कैरेबियाई देश डोमिनिकन रिपब्लिक का। इस देश के एक छोटे से गांव ला सेलिनास में लोग अजीबों-गरीब बीमारी से परेशान हैं। बीमारी भी ऐसी कि जो लोगों के अस्तित्व पर सवाल उठा रही है। दरअसल इस गांव में एक अजीब बीमारी है, जिसकी वजह से यहां के लड़कियां अपने आप लड़का बन जाती हैं। इस कैरेबियाई देश में 12 साल की उम्र में लड़कियां अपने आप लड़का बन जाती हैं। गांव के लोग इस लाइलाज बीमारी से परेशान है।
12 साल की उम्र में लड़कियां बन जाती है लड़का

इस गांव में बच्चा पैदा तो लड़की के तौर पर होता है, लेकिन 12 साल की उम्र आते-आते वो अपने आप लड़का बन जाता है। उसके शरीर में अंडकोश विकसित होने लगते हैं। यहां के लोग ऐसे बच्चों को घृणा की दृष्टि से देखते हैं। उन्हें समाज से हीन दृष्टि से देखा जाता है।
बायोलॉजिकल डिसऑर्डर

यहां ऐसे बच्चों को ‘ग्वेदोचे’ के नाम से जानते हैं, जिसका मतलब वैसा ही होता है जैसा हमारे यहां किन्नरों के लिए ‘हिजड़ा’ शब्द इस्तेमाल किया जाता है। इस बायोलॉजिकल डिसऑर्डर को ‘सूडोहर्माफ्रडाइट’ के नाम से जानते हैं। इस बीमारी में लड़की के तौर पर पैदा हुए कुछ बच्चों के शरीर में धीरे-धीरे पुरूषों के प्राइवेट पार्ट्स आने लगते हैं। उसके शरीर में वो बदलाव आने शुरू हुए जो उन्हें धीरे-धीरे लड़की से लड़का बना देते हैं।
90 बच्चों में से किसी एक को ये बीमारी

ये दुर्लभ बीमारी यहां के 90 में से किसी एक बच्चों को होती है। ऐसे बच्चों में हार्मोनल एंजाइम की कमी के चलते वो बिना किसी सेक्स ऑर्गन के पैदा होते हैं। ऐसे बच्चों के भीतर सेक्स ऑर्गेन प्यूबर्टी के समय विकसीत होने लगता है। हॉर्मोन के चलते उनके शरीर में विकसित होना शुरू हो जाता है और वो एक मर्द की तरह दिखने लगते हैं। जो लड़की के तौर पर पैदा हुआ होता है अचानक उसके शरीर में अंडकोश बनने लगते हैं, उसकी आवाज भारी होने लगती है। उसके शरीर में बदलाव आने लगता है। इस बीमारी से जूझ रहे बच्चे समाज से कट जाते हैं। लोग उन्हें घृणा की दृष्टि से देखने लगते है।

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