लखनऊ

क्या, कैसा और क्यों है योगी सरकार का UPCOCA , विस्तार से जानें

उत्तर प्रदेश विधानसभा में (MCOCA) की तर्ज पर माफिया और संगठित अपराध से निपटने के कड़े प्रावधान वाला upcoca bill पास किया गया है।

लखनऊDec 22, 2017 / 12:18 pm

Mahendra Pratap

लखनऊ. यूपी सरकार ने बुधवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (MCOCA) की तर्ज पर माफिया और संगठित अपराध से निपटने के कड़े प्रावधान वाला एक विधेयक पेश किया गया है। यह विधेयक आतंक फैलाने, बलपूर्वक या हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास करने वालों से सख्ती से निपटने की सुविधाएं देता है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में यूपीकोका (Uttar Pradesh Control Of Organised crime) बिल गुरूवार 21 दिसम्बर 2017 को पास किया गया। UPCOCA बिल में आतंक फैलाने या बलपूर्वक, हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विस्फोटकों या अन्य हिंसात्मक साधनों का प्रयोग कर किसी की जान या संपत्ति को नष्ट करने या राष्ट्र विरोधी, अन्य लोक प्राधिकारी को मौत की धमकी देकर या बर्बाद कर देने की धमकी देकर फिरौती के लिए बाध्य करने को लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं।

UPCOCA बिल का जानिए क्या है उद्देश्य?

यूपी संगठित अपराध नियंत्रण कानून बिल के उद्देश्य और कारण में कहा गया है कि मौजूदा कानूनी ढांचा संगठित अपराध के खतरे के निवारण एवं नियंत्रण को अपर्याप्त पाया गया है इसलिए संगठित अपराध के खतरे को नियंत्रित करने के लिए संपत्ति की कुर्की, रिमांड की प्रक्रिया, अपराध नियंत्रण प्रक्रिया, त्वरित विचार एवं न्याय के मकसद से विशेष न्यायालयों के गठन और विशेष अभियोजकों की नियुक्ति तथा संगठित अपराध के खतरे को नियंत्रित करने की अनुसंधान संबंधी प्रक्रियाओं को कड़े एवं निवारक प्रावधानों के साथ विशेष कानून अधिनियमित करने का निश्चय किया गया है।

यूपीकोका बिल में संगठित अपराध को विस्तार से परिभाषित किया गया है। फिरौती के लिए अपहरण, सरकारी ठेके में शक्ति प्रदर्शन, खाली या विवादित सरकारी भूमि या भवन पर जाली दस्तावेजों के जरिए या बलपूर्वक कब्जा, बाजार और फुटपाथ विक्रेताओं से अवैध वसूली, शक्ति का प्रयोग कर अवैध खनन, धमकी या वन्यजीव व्यापार, धन की हेराफेरी, मानव तस्करी, नकली दवाओं या अवैध शराब का कारोबार, मादक द्रव्यों की तस्करी आदि को इसके अंतर्गत रखा जाता है। यूपीकोका बिल में संगठित अपराध के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।

ये हैं सजा को प्रावधान?

यूपीकोका बिल में संगठित अपराध के परिणामस्वरुप किसी की मौत होने की स्थिति में मृत्युदंड या आजीवन कारावास की व्यवस्था है। इसके साथ ही UPCOCA Bill में न्यूनतम 25 लाख रुपए के अर्थदंड का भी प्रावधान है। किसी अन्य मामले में कम से कम 7 साल के कारावास से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है और न्यूनतम 15 लाख रुपए का अर्थदंड भी प्रस्तावित है। विधेयक संगठित अपराध के मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए विशेष अदालत के गठन का भी प्रावधान करता है।

UP Home Department के प्रमुख सचिव होंगे अध्यक्ष

अंतिम यूपीकोका बिल में राज्य संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण के गठन का प्रावधान है, जिसके तहत अध्यक्ष गृह विभाग के प्रमुख सचिव होंगे। इसमें 3 अन्य सदस्य अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था), अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध) और विधि विभाग के विशेष सचिव स्तर के अधिकारी शामिल किए जाएंगे, जो सरकार की ओर से मनोनीत भी होंगे। इसके अलावा जिला स्तर पर अपराध नियंत्रण प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव भी है, जो संबंधित जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में होगा और इसमें बतौर सदस्य पुलिस अधीक्षक, अपर पुलिस अधीक्षक एवं अभियोजन अधिकारी भी शामिल होंगे। उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक अपीली प्राधिकरण होगा, जिसमें राज्य सरकार के 2 सदस्य भी होंगे। यह प्राधिकरण प्रस्तावित कानून (UPCOCA) के तहत आरोपी की याचिका की सुनवाई करेगा।

यूपीकोका बिल का विपक्ष ने किया जमकर विरोध

UPCOCA बिल विधानसभा में पेश होने से पहले ही एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती समेत विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि राजनीतिक बदले की भावना से इस यूपीकोका बिल का दुरुपयोग किया जा सकता है। उन्होंने आशंका जताई है कि इस विधेयक का दुरुपयोग अल्पसंख्यकों, गरीबों और समाज के कमजोर वर्ग के खिलाफ हो सकता है। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने आशंका जताई कि विधेयक का राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ भी दुरुपयोग हो सकता है।

यूपीकोका बिल नहीं ये धोखा है। फर्नीचर साफ करने के पाउडर को PETN विस्फोटक बताने वाले जनता को बहकाने में माहिर हैं। 9 महीनों में बीजेपी ने जन सुरक्षा से खिलवाड़ करते हुए न सिर्फ समाजवादी ‘यूपी100’ और महिला सुरक्षा की ‘1090 हेल्पलाइन’ को ,बल्कि समाजवादी विकास पथ पर बढ़ते प्रदेश को रोका है।

न्याय विभाग की सहमति से तैयार किया गया था कानून का प्रारूप

यूपी के कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि High Court में संगठित अपराधियों, माफियाओं और अन्य सफेदपोश अपराधियों की गतिविधियों पर नियंत्रण के सम्बन्ध में दायर याचिका पर 12 जुलाई 2006 को पारित आदेश के क्रम में माफिया की गतिविधियों तथा यूपी सरकार के कार्यों में हस्तक्षेप पर अंकुश लगाने के लिए कानून का प्रारूप न्याय विभाग की सहमति से तैयार किया गया है। उन्होंने बताया था कि इस यूपीकोका बिल में 28 ऐसे प्रावधान हैं, जो पहले से लागू गैंगस्टर ऐक्ट में शामिल नहीं हैं। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित कानून के तहत दर्ज मुकदमों की सुनवाई के लिये विशेष अदालतें भी बनाई जाएंगी।

यूपीकोका बिल ‘मकोका’ का अध्ययन किया गया है

मंत्री ने बताया कि विधेयक के परीक्षण के लिए गृह विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। इसमें अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध) तथा विशेष सचिव (न्याय विभाग) को भी शामिल किया गया था। इस समिति द्वारा परीक्षण के दौरान उच्च न्यायालय के पारित निर्णय तथा महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून-1999 (मकोका) का भी गहन अध्ययन करके इस विधेयक का प्रारुप तैयार किया गया है।

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