निर्यात पर बैन लगते ही गिरने लगे दाम लखनऊ से गल्ला व्यापारी ज्ञानेंद्र मिश्र कहते हैं कि निर्यात पर रोक लगाने के फैसले के कारण दाम में गिरावट आई है। जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बीच में गेहूं की कटाई शुरू हो गई थी। विश्व भर में गेहूं की डिमांड बढ़ गई जिससे कि भारत को निर्यात का मौका मिला। गेहूं की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इसका असर यह हुआ कि ज्यादा खरीद के लिए बड़े कारोबारियों ने उंचे दामों पर खरीद शुरू कर दी। हरदोई से व्यापारी महेश कुमार कहते हैं कि सबसे ऊंची खरीद 2325 रुपये की हुई। मगर, निर्यात पर बैन लगते ही गेहूं के दाम धड़ाधड़ गिरने लगे।
किस जिले में कितने गिरे दाम फरुखाबाद में 200 रुपये से गेहूं के दाम गिर गए हैं। यहां खुले बाजार में गेहूं के दाम 2200 रुपये से 2000 रुपये तक आ गए हैं। कन्नौज में दाम 1900 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए हैं। कानपुर देहात में गेहूं खरीद के दाम 2200 रुपये तक पहुंच गए थे, जो घटकर 2050 रुपये आ गया है।
चीनी एक रुपये से सस्ती खुदरा में चीनी एक रुपये प्रति किलोग्राम से सस्ती हो गई है। चावल परमल के भावों में भी 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की कमी देखने को मिल रही है।