दरअसल, 25 मार्च को मंत्रियों की शपथ लेने में स्वतंत्रदेव सिंह का भी नाम शामिल था। अब स्वतंत्रदेव सिंह चूंकि कैबिनेट मंत्री बन चुके हैं लिहाजा यह तय है कि संगठन की कमान यानि प्रदेश अध्यक्ष किसी और को बनाया जाएगा। पार्टी अब किसे इन पद के लिए उचित मानती है ये तो नाम सामने आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन इतना तो तय है कि अध्यक्ष पद पर नियुक्ति से पहले बीजेपी जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण को ज़रूर ध्यान में रखेगी।
आपको बता दें कि 2017 विधानसभा चुनाव से पहले केशव प्रसाद मौर्य को यूपी बीजेपी की कमान सौंपी गयी थी तो वहीं 2022 विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी स्वतंत्रदेव सिंह पर भरोसा जताया। ये दोनों ही पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते थे। और दोनों ही विधानसभा चुनावों में परिणाम पार्टी के पक्ष में रहा। जबकि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले लक्ष्मीकांत बाजपेयी और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी डा. महेंद्रनाथ पांडेय को यूपी बीजेपी की कमान सौंपी गयी थी। ये दोनों चेहरे अगड़ी जाति से आते थे और पार्टी का ब्राह्मण चेहरा थे। इन चुनावों में भी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया। अब सवाल ये है कि 2024 को ध्यान में रखकर रणनीति तैयार कर रही बीजेपी, पार्टी अध्यक्ष पद के लिए किस वर्ग के चेहरे को यूपी की कमान सौंपेगी।