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…तो इसलिए गहलोत-बघेल और कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए अखिलेश और मायावती

locationलखनऊPublished: Dec 17, 2018 05:11:31 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती

akhilesh and mayawati

…तो इसलिए गहलोत-बघेल और कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए अखिलेश और मायावती

हरिओम द्विवेदी
लखनऊ. कांग्रेस शासित तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में जिस तरह के विपक्षी एकता की कल्पना की गई थी, उसके अनुरूप जमावड़ा नहीं हुआ। सबसे बड़ा धोखा उत्तर प्रदेश से मिला। यहां की प्रमुख दो पार्टियों सपा और बसपा ने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने से गुरेज किया। इससे विपक्षी एकता को बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ के नये मुख्यमंत्री कांग्रेस के भूपेश बघेल सोमवार शाम को चीफ मिनिस्टर पद की शपथ लेंगे।
कुछ माह पहले कर्नाटक में कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और बसपा सुप्रीमो मायावती के गले मिलते फोटो वायरल हुई थी। इसके बाद से यह माना जा रहा था कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस और सपा-बसपा का गठबंधन तय है, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि यूपी की राह कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगी।
बसपा और सपा का गठबंधन भले ही परवान चढ़े, लेकिन कांग्रेस को अपने गठबंधन में शामिल न करने के पीछे कई वजह हैं। सबसे बड़ी बात तो यही है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कम से 20 सीटें गठबंधन को देनी होंगी। कांग्रेस को इतनी सीटें देने के लिए न तो मायावती राजी होंगी और न ही अखिलेश यादव। हालांकि, मध्य प्रदेश के नये मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बताया कि स्वास्थ्य कारणों से मायावती नहीं पहुंच पाईं। इसके लिए उन्होंने पहले ही फोन पर बता दिया था। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने फोन पर शपथ ग्रहण समारोह में आने का वादा किया था।
इन सीटों पर है कांग्रेस की मजबूत दावेदारी
उत्तर प्रदेश में कम से कम 20 सीटों पर कांग्रेस की मजबूत दावेदारी मानी जा रही है। इनमें अमेठी, रायबरेली, कुशीनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद, बाराबंकी, कानपुर, लखनऊ, झांसी, फर्रुखाबाद, बरेली, लखीमपुर-खीरी, बलरामपुर, प्रतापगढ़, धौरहरा और उन्नाव आदि लोकसभा सीटें शामिल हैं। कांग्रेस किसी भी कीमत पर यह सीटें छोड़ने को तैयार नहीं होगी वहीं, सपा-बसपा कांग्रेस को दो सीटों (अमेठी-रायबरेली) से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं।
2014 लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और कांग्रेस का प्रदर्शन

2014 में समाजवादी पार्टी को मिले 22 फीसदी वोट
2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कुल पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। इनमें बदायूं (धर्मेन्द्र यादव), कन्नौज (डिंपल यादव), मैनपुरी-आजमगढ़ (मुलायम सिंह यादव) और फिरोजाबाद (अक्षय यादव) जीते। मुलायम के मैनपुरी से इस्तीफे के बाद अब यह सीट तेज प्रताप यादव के पास है। आम चुनाव में समाजवादी पार्टी 31 लोकसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। पार्टी को मिला कुल मत प्रतिशत 22.2 फीसदी था।
कांग्रेस ने दो सीटें जीती, छह उम्मीदवार दूसरे नंबर पर
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश में दो सीटें अमेठी (राहुल गांधी) और रायबरेली (सोनिया गांधी) जीती थीं, वहीं कांग्रेस के छह उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे। इनमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर (गाजियाबाद), पार्टी प्रवक्ता पीएल पुनिया (बाराबंकी), पूर्व कांग्रेसी रीता बहुगुणा जोशी (लखनऊ), पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल (कानपुर), पूर्व केंद्रीय मंत्री कुंअर आरपीएन सिंह (कुशीनगर) और प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद (सहारनपुर) के नाम शामिल हैं। आम चुनाव में यूपी में कांग्रेस को मिला कुल मत प्रतिशत 7.5 फीसदी था।
34 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी बसपा
नरेंद्र मोदी लहर में बहुजन समाज पार्टी भले ही एक भी सीट नहीं जीत पाई हो, लेकिन चुनाव में बसपा को करीब 20 फीसदी वोट हासिल हुए। इतना ही नहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव में जिन प्रत्याशियों को टिकट दिया था, उनमें 34 उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे। इसीलिए बहुजन समाज पार्टी कम से 34 प्लस सीटों का टारगेट मानकर चल रही है।

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