scriptसुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से इन वजहों से सुर्खियों में हैं अयोध्या के यह संत | Why Ayodhya Sadhu Sant is in discussion after supreme court decision | Patrika News

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से इन वजहों से सुर्खियों में हैं अयोध्या के यह संत

locationलखनऊPublished: Nov 18, 2019 05:12:48 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद से रामनगरी शांत है, लेकिन यहां के संत चर्चा में हैं- राम मंदिर निर्माण का रास्ता खुलते ही अयोध्या के साधु-संतों के बीच ‘अखाड़ाबाजी’ शुरू हो गई है- ट्रस्ट में शामिल होने और न होने को लेकर साधु-संतों के विभिन्न संगठनों के बीच विवाद शुरू हो गया है

Ayodhya Sadhu Sant

ट्रस्ट में शामिल होने और न होने को लेकर साधु-संतों के विभिन्न संगठनों के बीच विवाद शुरू हो गया है

लखनऊ. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद से रामनगरी शांत है, लेकिन यहां के संत चर्चा में हैं। राम मंदिर निर्माण का रास्ता खुलते ही अयोध्या के साधु-संतों के बीच ‘अखाड़ाबाजी’ शुरू हो गई है। कुछ को ट्रस्ट में बड़ा पद तो कमोबेश सबको सदस्यता चाहिये। ट्रस्ट में शामिल होने और न होने को लेकर साधु-संतों के विभिन्न संगठनों के बीच विवाद शुरू हो गया है। यह विवाद इस स्तर तक पहुंच चुका है कि साधु-संत अपने विरोधियों के खिलाफ न सिर्फ अपशब्द बोल रहे हैं, बल्कि दो समूह तो मरने-मारने को भी उतारू हो गये। आइये जानते हैं कि अयोध्या के उन प्रमुख संतों और उनके संगठनों के बारे में जो लगातार अखबारों की सुर्खियों में बने हुए हैं।
परमहंसदास
अयोध्या फैसले के बाद तपस्वी छावनी के परमहंसदास सुर्खियों में हैं। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल पर अभद्र टिप्पणी वायरल होने के बाद उन्हें तपस्वी छावनी से निष्कासित कर दिया गया है। महंत नृत्यगोपाल ने परमहंसदास के खिलाफ केवल एफआइआर दर्ज कराई, बल्कि उनका घेराव भी किया। इसके बाद परमहंसदास ने एक वीडियो जारी कर नृत्यगोपाल पर हत्या की साजिश का आरोप लगाया। बीते दिनों वह राम मंदिर निर्माण के लिए अनशन कर सुर्खियों में रहे थे।
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रामविलास वेदांती
एक वायरल ऑडियो क्लिप को लेकर पूर्व भाजपा सांसद रामविलास वेदांती सुर्खियों में हैं। क्लिप में वह परमहंस दास से बातचीत करते सुनाई दे रहे हैं, जिसमें वेदांती परमहंस दास से राम मंदिर निर्माण के लिए बनायी जाने वाली ट्रस्ट के अध्यक्ष के लिए उनका प्रचारित किये जाने और सीएम योगी आदित्यनाथ को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध करते सुनाई दे रहे हैं। हालांकि, ऑडियो क्लिप का अभी तक सत्यापन नहीं किया जा सका है।
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महंत नरेन्द्र गिरि
अयोध्या फैसले के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को राम मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाये जाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पुनर्विचार याचिका दाखिल करने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए नरेंद्र गिरि ने कहा कि कोर्ट के फैसले को जो लोग चुनौती देने जा रहे हैं वे देशद्रोही हैं। उनके खिलाफ खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। कहा कि हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी पाकिस्तान और वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं।
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महंत नृत्यगोपाल दास
महंत नृत्यगोपाल दास श्रीराम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट को ही सरकारी ट्रस्ट बनाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि राम मंदिर बनाने के लिए किसी नए ट्रस्ट की जरूरत नहीं है। मेरा ट्रस्ट ही मुख्य कर्ताधर्ता रहेगा। जरूरत पड़ने पर और लोगों को शामिल किया जा सकता है। महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि राम जन्मभूमि न्यास चाहता है कि गोरखनाथ मंदिर गोरक्षा पीठ के पीठाधीश्वर होने के नाते योगी आदित्यनाथ ट्रस्ट की अध्यक्षता करें, क्योंकि राम मंदिर आंदोलन में गोरक्षनाथ पीठ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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महंत दिनेन्द्र दास
निर्मोही अखाड़ा ने रविवार को राममंदिर निर्माण के नए ट्रस्ट में सरकार से अध्यक्ष या सचिव बनने की मांग करके हलचल बढ़ा दी है। सोमवार को निर्मोही अखाड़े की ओर से महंत दिनेन्द्र दास द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन जिलाधिकारी अनुज झा को सौंपा गया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ई-मेल कर उनसे मुलाकात का समय मांगा है, ताकि निर्मोही अखाड़ा राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल होने के लिए अपनी बातें रख सके।
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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि रामालय न्यास के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राममंदिर बनाने का दायित्व सरकार को रामालय न्यास को देना पड़ेगा। कहा कि श्रीरामजन्मभूमि न्याय अयोध्या एक्ट 1993 से पहले का बना है, जिसकी वजह से पात्रता नहीं रखता, जबकि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष महंत जन्मेजय शरण उनके साथ है, और रामालय के कार्यकारिणी सदस्य भी हैं। अब रही बात निर्मोही अखाड़े के दावे की तो उनको सिर्फ ट्रस्ट में जगह देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। ट्रस्ट का दायित्व संभालने के लिए नहीं।

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