लालजी टंडन वार्ड पार्षद से लेकर विधायक, मंत्री और सांसद तक की वह जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। उनके पास लंबे समय तक विधान परिषद में विपक्ष के नेता रहने का अनुभव है। चुनावी प्रबंधन की भी उन्हें बेहतर जानकारी है। जोड़-तोड़ और गठबंधन की सरकार बनाने और चलाने का उन्हें माहिर नेता माना जाता है।
लालजी टंडन राजनीतिक मामलों के जानकार तो हैं ही, कानूनी दांव-पेंच का भी उन्हें बड़ा जानकार माना जाता है। माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश की राजनीति में उनके राजनीतिक कौशल की आवश्कता पड़ सकती है।
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लंबा राजनीतिक अनुभवजेपी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले लालजी टंडन का राजनीतिक सफर वर्ष 1960 में शुरू हुआ था। विधान परिषद में 1978 से 1996 तक लगातार एमएलसी रहे। मायावती और कल्याण सिंह की कैबिनेट में वह नगर विकास मंत्री रहे।
लालजी टंडन पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक मैनेजर भी रह चुके हैं। अटल जी जब लखनऊ से चुनाव लड़ते थे तो उनके चुनाव प्रचार का पूरा प्रबंधन लालजी टंडन देखते थे। 1991 से 2009 तक अटल बिहारी लगातार लखनऊ से सांसद चुने जाते रहे। इस दौरान लालजी टंडन ने ही चुनाव प्रचार का पूरा जिम्मा निभाया।
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अटल की खड़ाऊं के सहारे जीते थे चुनावलालजी टंडन ने खुद भी कहा है कि राजनीति में उन्हें अटल जी ही लाये थे। अटल बिहारी के राजनीतिक सन्यास लेने के बाद 2009 में टंडन ने लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें अटल जी की खड़ाऊं के सहारे ही चुनाव जीता था।