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लखनऊ

सपा-बीजेपी नहीं मायावती का असली टारगेट है कांग्रेस, आज हुआ बड़ा खुलासा

– सीएए के विरोध में बुलाई बैठक से मायावती ने किया किनारा- नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर विपक्ष में दो फाड़

लखनऊJan 14, 2020 / 06:49 pm

Hariom Dwivedi

mayawati

मायावती यह मानकर चल रही हैं कि उत्तर प्रदेश में सपा-भाजपा नहीं कांग्रेस पार्टी ही उनका असली टारगेट है

लखनऊ. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर विपक्ष में दो फाड़ हो गये। सीएए के विरोध में सोमवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी, जिससे बहुजन समाज पार्टी ने किनारा कर लिया। कांग्रेस को विश्वासघाती बताते हुए मायावती ने ट्ववीट करते हुए बैठक में न शामिल होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राजस्थान में बसपा द्वारा बाहर से समर्थन दिये जाने के बावजूद कांग्रेसियों ने दूसरी बार बसपा विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया। ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी शामिल नहीं होगी। भले ही मायावती इस बैठक में शामिल नहीं होने की उपरोक्त वजह बता रही हैं, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसके पीछे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सक्रियता को मानते हैं। विश्लषकों का मानना है कि मायावती यह मानकर चल रही हैं कि उत्तर प्रदेश में सपा-भाजपा नहीं कांग्रेस पार्टी ही उनका असली टारगेट है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों मायावती के निशाने पर कांग्रेस पार्टी है।
प्रियंका की सक्रियता
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की सक्रियता मायावती की टेंशन बढ़ा रही है। सोनभद्र नरसंहार कांड, नागरिकता संशोधन कानून, कानून-व्यवस्था, उन्नाव कांड, चिन्मयानंद मामला और मैनपुरी में नवोदय छात्रा के सुसाइड करने समेत अन्य अहम मुद्दों पर जिस तरह से प्रियंका की अगुआई में कांग्रेसियों ने सरकार की नाक में दम किया, यूपी में कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभर कर सामने आई है। मायावती जहां ट्विटर पर ही सक्रिय रहीं, प्रियंका गांधी ने जमीन पर उतरकर मोर्चा संभाला। प्रियंका की लगातार यूपी में बढ़ती सक्रियता से मायावती की चिंताए साफ झलकती हैं। यही वजह है कि मायावती लगातार कांग्रेस और प्रियंका गांधी पर निशाना साध रही हैं।
वोटबैंक खिसकने का डर
वर्ष 1989 के बाद से यूपी में कांग्रेस का पतन और बसपा का उत्थान शुरू हो गया था। कारण कि कांग्रेस का प्रमुख वोटबैंक बसपा के साथ आ गया। मायावती के पास आज लगभग वही वोट बैंक भी है जो कभी कांग्रेस का हुआ करता था। इसी वोटबैंक को फिर से पार्टी के साथ लाने के लिए प्रियंका दिन-रात एक किये हुए हैं। साथ ही उनकी नजर अल्पसंख्यक वोटों पर भी है, जिन्हें अपने पाले में लाने के लिए सपा के साथ बसपा भी प्रयास कर रही है। अब प्रियंका की सक्रियता ने अल्पसंख्यकों के सामने एक और विकल्प पेश किया है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बसपाइयों का मानना है कि बसपा के बड़े वोटबैंक में सेंध लगाकर ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस मजबूत होगी। ऐसे में मायावती को प्रियंका गांधी फूटी आंख नहीं सुहा रही हैं।
कांग्रेस की ‘दगाबाजी’
मायावती के मुताबिक, कांग्रेस और बसपा के बीच मनमुटाव की असली वजह कांग्रेस पार्टी की दगाबाजी है। राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए मायावती कहती हैं कि राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहां बसपा के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतया विश्वासघाती है। ऐसे कांग्रेस नेतृत्व की अगुआई में विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी शामिल नहीं होगी। इससे बसपाइयों का मनोबल भी गिरेगा।
https://twitter.com/Mayawati/status/1216558468993179649?ref_src=twsrc%5Etfw
यूपी विधानसभा में बसपा का प्रदर्शन
– 1989 में बसपा के 13 विधायक जीते, 9.41 फीसदी वोट मिले
– 1991 में बसपा के 12 विधायक जीते, 9.44 फीसदी वोट मिले
– 1993 में बसपा के 67 विधायक जीते, 11.94 फीसदी वोट मिले
– 1996 में बसपा के 67 विधायक जीते, 19.64 फीसदी वोट मिले
– 2002 में बसपा के 98 विधायक जीते, 23.06 फीसदी वोट मिले
– 2007 में बसपा के 206 विधायक जीते, 30.43 फीसदी वोट मिले
– 2012 में बसपा के 80 विधायक जीते, 25.91 फीसदी वोट मिले
– 2017 में बसपा के 19 विधायक जीते, 22.23 फीसदी वोट मिले
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