लखनऊ

Diwali 2021: क्या इस दिवाली फोड़ सकेंगे पटाखे?

यूपी सरकार ने पटाखों की बिक्री और पटाखे फोड़ने को लेकर फिलहाल कोई ताजा दिशा-निर्देश नहीं दिये हैं। अगर पिछले साल के निर्देशों को मानें तो लगता है इस बार की दीवाली में भी बस फुस्स-फुस्स पटाखे ही छोड़ने को मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। जिन शहरों की वायु गुणवत्ता यानि एक्यूआई ज्यादा खराब थी वहाँ पटाखों पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया था। जिसके चलते राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के ज्यादातर जिलों में पटाखों की बिक्री नहीं हुई थी।

लखनऊOct 16, 2021 / 04:26 pm

Vivek Srivastava

लखनऊ. दीपावली आने वाली है मगर पटाखे छोड़ने को लेकर अभी तक संशय बरकरार है। यूपी सरकार ने पटाखों की बिक्री और पटाखे फोड़ने को लेकर फिलहाल कोई ताजा दिशा-निर्देश नहीं दिये हैं। अगर पिछले साल के निर्देशों को मानें तो लगता है इस बार की दीवाली में भी बस फुस्स-फुस्स पटाखे ही छोड़ने को मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। जिन शहरों की वायु गुणवत्ता यानि एक्यूआई ज्यादा खराब थी वहाँ पटाखों पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया था। जिसके चलते राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के ज्यादातर जिलों में पटाखों की बिक्री नहीं हुई थी।
आवंटन के बाद निरस्त करनी पड़ी थीं दुकानें

पिछले साल कोरोना काल में पटाखा बाजारों के लिए दुकानें आवंटित होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर त्योहार से दो दिन पहले आवंटन निरस्त करने पड़े थे।
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों को दी छूट

सर्वोच्च न्यायालय ने ग्रीन पटाखों की बिक्री को लेकर पिछले साल एक आदेश में कहा था कि केवल लाइसेंसधारक विक्रेताओं के जरिये ग्रीन पटाखे ही बेचे जा सकते हैं।
क्या दीवाली पर यूपी में ग्रीन पटाखों को छोड़ने की मिलेगी अनुमति

राज्य सरकार ने प्रदेश में पटाखों पर बैन के मामले मे यू टर्न लिया है। यहां एनसीआर क्षेत्र को छोड़कर अन्य जिलों में दीपावली पर दो घंटे रात 8 से 10 बजे तक के लिए ग्रीन पटाखों को चलाने की अनुमति प्रदान की है।
क्या होता है ग्रीन पटाखा?

दरअसल, ग्रीन पटाखों से अन्य पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण होता है। आम पटाखों की तुलना में इनके शेल का आकार भी कम होता है। इन्हें इस तरह से बनाया जाता है कि जलाए जाने पर ये धूल हवा में ज्यादा नहीं उड़ाते। इनमें लिथियम, आर्सेनियम, बैरियम और लेड जैसे हानिकारक केमिकल्स भी नहीं होते। ये जलने पर भाप छोड़ते हैं जिनसे धूल नहीं उड़ती। विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रीन पटाखे आम पटाखों की तुलना में 30 फीसदी कम पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जित करते हैं।
सीएसआईआर-नीरी देती प्रमाण पत्र

ग्रीन पटाखों का प्रमाणन केंद्र सरकार की एजेंसी सीएसआईआर-नीरी के द्वारा किया जाता है। इसमें पटाखों के डिब्बों पर नीरी का हरे रंग का लोगो और क्यूआर कोड होता है, जिसे स्केन कर ग्रीन पटाखों की पहचान की जा सकती है। इन उत्पादकों को पेट्रोलियम और एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइज़ेशन (पीईएसओ) यानि पेसो से पटाखा बनाने के लिए लाइसेंस भी लेना होता है।
ग्रीन पटाखों पर क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल पटाखों के इस्तेमाल पर सुनवाई करते हुए ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल पर कहा था कि, “हमारा फोकस लोगों के जीने के अधिकार पर है। अगर एक्सपर्ट ग्रीन पटाखों को मंजूरी देते हैं तो हम आदेश जारी करेंगे।” कोर्ट ने कहा कि, “कानून तो बने हैं लेकिन उन्हें ठीक तरीके से लागू किए जाने की जरूरत है।”
सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए ये भी कहा था कि, “हमें रोजगार, बेरोजगारी और लोगों के जीने के अधिकार के बीच संतुलन बनाना होगा। कुछ लोगों के रोजगार की आड़ में हम दूसरे लोगों के जीने के अधिकार का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं दे सकते।”
राजस्थान सरकार ने फैसला पलटा

राजस्थान की गहलोत सरकार ने शुक्रवार को अपने पुराने फैसले को बदलते हुए ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की सशर्त अनुमति दे दी है। शर्त ये है कि ग्रीन पटाखे रात 8 बजे से रात 11 बजे तक ही जलाए जा सकते हैं।
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