उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि बिना परमिट की गाड़ी सड़क पर नहीं चलनी चाहिए। इसकी फूलप्रूफ व्यवस्था की जाए। जो वाहन अनफिट हों उनको स्क्रैप कराया जाए। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक के सामान्य नियमों की जानकारी और अनुपालन से बड़ी संख्या में दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। इसलिए सड़क सुरक्षा और यातायात के नियमों के सम्बन्ध में आम नागरिक को जागरूक किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक तीन माह में एक बार सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाए।
मुख्यमंत्री लोक भवन में सड़क सुरक्षा के सम्बन्ध में आहूत एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने सड़क निर्माण से जुड़ी सभी एजेंसियों-लोक निर्माण विभाग, एन0एच0ए0आई0 तथा स्टेट हाईवे अथाॅरिटी के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सभी सम्बन्धित विभागों को सड़क सुरक्षा के सम्बन्ध में अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना होगा। इसमें किसी भी प्रकार की कोताही को गम्भीरता से लिया जाएगा। यमुना एक्सप्रेस-वे पर होने वाली दुर्घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक वाहन चालक की मेडिकल फिटनेस जांच के साथ-साथ वाहनों की भी फिटनेस की जांच करायी जाए। सरकारी वाहनों के चालकों की भी मेडिकल फिटनेस जांच कराई जाए। सड़कांे के किनारे बने अवैध ढाबों को हटाया जाए। एक्सप्रेस-वे, नेशनल हाईवे तथा स्टेट हाईवे के प्रत्येक 15 किलोमीटर पर रम्बल स्ट्रिप्स स्थापित किए जाएं। स्पीड बे्रकर्स मानकों के अनुसार निर्मित किए जाएं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि रात्रिकालीन सेवा में परिवहन निगम यह सुनिश्चित करे कि 400 किमी0 से अधिक की दूरी होने की दशा में दो वाहन चालक रखे जाएं।
मुख्यमंत्री ने हेलमेट और सीट बेल्ट की व्यवस्था का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बिना हेलमेट के दोपहिया वाहनों के चालकों को पेट्रोल की आपूर्ति न किए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। विद्यालयों में सड़क सुरक्षा के सम्बन्ध में जागरूकता अभियान चलाया जाए। सभी प्रधानाचार्यों की मीटिंग बुलाकर जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और बेसिक शिक्षा अधिकारी सड़क सुरक्षा के सम्बन्ध में अवगत कराएं, जिससे बच्चों और अभिभावकों को जानकारी मिले और उनमें जागरूकता आए। सड़क सुरक्षा से जुड़े बिन्दुओं का पैम्फलेट तैयार कर विद्यालयों में वितरित किया जाए।