सामान्यतः महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर कम मिलते हैं, इसके बावजूद देश के विकास में अपना योगदान देने वाली महिलाओं का आज समाज की ओर से सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं को सम्मान के साथ समान वेतन और घरेलू सुरक्षा पर भी चर्चा की आवश्यकता है। महिलाओं की तुलना में पुरुष शारीरिक बल में अधिक होते हैं, परंतु उन्हें अपनी शक्ति का इस्तेमाल महिलाओं के खिलाफ नहीं, बल्कि रक्षा के लिए करना चाहिए। कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़ीं बहन रेखा चूड़ासमा ने कहा कि आज पूरे विश्व में महिलाओं के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन यह सम्मान प्रत्येक दिन होना चाहिए।
आज सभी महिलाओं को आत्म-चिंतन, आत्म मंथन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमेशा से महिलाओं के सशक्तिकरण की बात कही जाती रही है, लेकिन वो हमेशा से सशक्त रही हैं, उन्हें स्वयं को पहचानने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने रानी दुर्गावती, रानी अहिल्याबाई जैसी महान वीरांगनाओं का उदाहरण भी दिया। उन्होंने भारतीय परम्पराओं को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि महिलाएं भारतीय जीवनशैली को अपनाएंगी तो परिवार और समाज ठीक रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मां को अपने बच्चों से उनके आदर्श के बारे में चर्चा करनी चाहिए और देश की महान विभूतियों के बारे में बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कार का स्थानांतरण पीढ़ी-दर-पीढ़ी होता है। ऐसे में महिलाओं को विचार करना चाहिए कि परिवार संस्कारक्षम् हो।
सरस्वती बालिका विद्यालय, जानकीपुरम् की प्रधानाचार्या सुधा तिवारी ने कहा कि आज महिलाओं के सम्मान के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण दिन है। बेटियों की शिक्षा और सुरक्षा दोनों ही बेहद जरूरी हैं। कुछ लोग अभी भी बेटा-बेटी में भेदभाव करते हैं। आज बेटियां पढ़-लिखकर किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सभी समस्याओं का हल शिक्षा ही है, इसलिये महिलाओं की शिक्षा अति आवश्यक है। उच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री रंजना अग्निहोत्री जी ने कहा कि महिला दिवस मनाए जाने की शुरुआत से पहले भी हमारे देश में महिलाओं का सम्मान किया जाता रहा है। सनातन परंपरा में सदैव महिलाओं को देवी के समान माना गया है। उन्होंने कहा कि हम सबके जीवन में चुनौतियां होती ही हैं, लेकिन उनका सामना करना सराहनीय है।