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World AIDS Day 2021 :एचआईवी पाजिटिव गर्भवती भी पूर्ण सावधानी से पा सकतीं हैं स्वस्थ संतान का सुख

locationलखनऊPublished: Nov 30, 2021 07:49:29 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

(World AIDS Day 2021)बात करने से पता चला कि वह बच्चे के लिए तो बहुत ही इच्छुक हैं लेकिन उन्हें डर है कि बच्चा एचआईवी पाज़िटिव न हो। उन्हें एआरटी काउंसलर द्वारा बताया गया कि एआरटी सेंटर से इलाज कराया जाएगा अगर वह उसके अनुसार ही करेंगे तो सब कुछ अच्छा होगा । दंपति ने हामी भर दी । दोनों का ही इलाज शुरू कर दिया गया ।

World AIDS Day 2021 :एचआईवी पाजिटिव गर्भवती भी पूर्ण सावधानी से पा सकतीं हैं स्वस्थ संतान का सुख

World AIDS Day 2021 :एचआईवी पाजिटिव गर्भवती भी पूर्ण सावधानी से पा सकतीं हैं स्वस्थ संतान का सुख

लखनऊ, स्थानीय निवासी 28 वर्षीया कल्पना ( बदला हुआ नाम) को शादी के दो साल हो चुके थे लेकिन वह गर्भ धारण नहीँ कर पा रही थीं । इसक लिए उन्होंने क्वीन मेरी अस्पताल में जांच करायी तो वहाँ के चिकित्सक ने पूरी जांच करने के बाद कल्पना और उनके पति को वायरल मार्कर जांच कराने की सलाह दी । जांच की रिपोर्ट आने पर दोनों ही एचआईवी पाज़िटिव निकले । इसके बाद दंपति बहुत ही निराश हुए। क्वीन मेरी में उनकी काउंसलिंग की गई और उन्हें किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एआरटी (एंटी रिट्रो वायरल थेरेपी) सेंटर रेफर किया गया। सबसे पहले यहाँ दंपति का पंजीकरण किया गया और उसके बाद दोनों की काउंसलिंग शुरू की गई । उनसे इस बात की जानकारी ली गई कि वह बच्चा चाहते हैं या नहीं। बात करने से पता चला कि वह बच्चे के लिए तो बहुत ही इच्छुक हैं लेकिन उन्हें डर है कि बच्चा एचआईवी पाज़िटिव न हो। उन्हें एआरटी काउंसलर द्वारा बताया गया कि एआरटी सेंटर से इलाज कराया जाएगा अगर वह उसके अनुसार ही करेंगे तो सब कुछ अच्छा होगा । दंपति ने हामी भर दी । दोनों का ही इलाज शुरू कर दिया गया ।
महिला ने लड़के को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के बाद भी वह एआरटी सेंटर से इलाज कराते रहे । डेढ़ साल बाद जब बच्चे की एचआईवी की जांच हुई तो वह निगेटिव आया |किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एआरटी (एंटी रिट्रो वायरल थेरेपी) सेंटर के परामर्शदाता डा. भास्कर पाण्डेय बताते हैं – एचआईवी (ह्युमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है जो कि मानव शरीर में पाया जाता है । यह मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कम करता है । एड्स ( एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम ) एचआईवी की एक अवस्था है।
महिलाओं में एड्स होने की संभावना पुरुषों की अपेक्षा कम होती है। यदि महिला एचआईवी से पीड़ित है तो उसके पार्टनर पुरुष को एचआईवी होने की संभावना 80 से 90 फीसद होती है। एचआईवी पाज़िटिव गर्भवती का सबसे पहले एआरटी सेंटर में पंजीकरण होता है और उसके बाद तुरंत ही दवाएं शुरू की जाती हैं | साथ ही महिला और उसके परिवार की काउंसलिंग की जाती है । प्रसव हेतु क्वीन मेरी के जच्चा बच्चा केंद्र पर प्रसव के लिए भेजा जाता है और वहाँ पर उनका पंजीकरण किया जाता है । एचआईवी पाज़िटिव गर्भवती को सरकारी अस्पताल में ही प्रसव के लिए संदर्भित किया जाता है । जन्म के तुरंत बाद से बच्चे को डेढ़ साल की आयु का होने तक दवा दी जाती है । बच्चे का 3 माह, 6 माह 12 माह पर डी बी एस की जांच और 18 माह पर एचआईवी की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट किया जाता है कि बच्चा एचआईवी पाज़िटिव हैं या नहीं । 18 माह पर जांच में यदि बच्चा एचआईवी निगेटिव आता है तो उसे एचआईवी संक्रमण से मुक्त माना जाता है ।
डा. भास्कर बताते हैं कि हम एचआईवी पाज़िटिव धात्री महिला को यह सलाह देते हैं कि वह अपने बच्चे को या तो केवल स्तनपान कराए या केवल गाय, भैंस या डिब्बे का दूध दे। मिक्स फीडिंग कराने में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। डा. भास्कर बताते हैं कि लखनऊ में दो एआरटी सेंटर – किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और राम मनोहर लोहिया अस्पताल सहित पूरे प्रदेश में 50 एआरटी सेंटर हैं। डा. भास्कर ने बताया- एचआईवी, संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध से, एचआईवी संक्रमित रक्त के चढ़ाए जाने से, संक्रमित सुईयों एवं सीरिंजों के साझा प्रयोग से तथा संक्रमित माँ से उसके होने वाले बच्चे में हो सकता है । सभी सरकारी सुविधा केन्द्रों पर एचआईवी की जांच निःशुल्क उपलब्ध है।यदि कोई व्यक्ति एचआईवी जाँच में पॉजिटिव आता है तो मेडिकल कॉलेज/ जिला अस्पताल में एआरटी सेंटर में उसका पंजीकरण करा दिया जाता हैं जहां एचआईवी का निःशुल्क इलाज किया जाता है।
क्वीन मेरी हॉस्पिटल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एस.पी.जैसवार बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान एक बार एचआईवी का टेस्ट करायेँ। अगर किसी महिला को एचआईवी होने की आशंका है और वह गर्भवती है तो वह पहले अपना और अयदि महिला एचआईवी से पीड़ित है तो उसे अन्य बीमारियों जैसे टीबी का संक्रमण होने की संभावना अधिक होती हैं । गर्भवती को खान पान सहित अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। हर साल एक दिसंबर को एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है |पने पति की एचआईवी की जांच कराए।
गर्भवती को एचआईवी होने पर बच्चे में एचआईवी होने की संभावना बढ़ जाती है । एचआईवी पीड़ित गर्भवती को पहले और तीसरे महीने में क्लीनिकल परीक्षण कराना चाहिए। साथ ही एचआईवी और अन्य इन्फेक्शन से जुड़े टेस्ट कराते रहने चाहिए। एचआईवी पीड़ित गर्भवती को समय –समय पर वायरल लोड जांच करानी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि मरीज को दी जा रही दवायेँ काम कर रही हैं या नहीं।
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