ब्लड ग्रुप मेल ना खाने पर भी प्रत्यारोपण हो जाएगा
पीजीआई के बाद अब लोहिया संस्थान में भी ऐसे मरीजों का गुर्दा प्रत्यारोपण हो सकेगा जिनके परिवार के सदस्य का ब्लड ग्रुप मरीज से मेल नहीं खा रहा है। चिकित्सा विज्ञान में इस तकनीकी को एबीओ इनकम्पटेबल रीनल ट्रांसप्लांट कहते हैं। इसकी तैयारी लोहिया संस्थान के प्रत्यारोपण विशेषज्ञों ने शुरू कर दी है। निदेशक डॉ एके त्रिपाठी ने बताया कि गुर्दे के मरीज की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। प्रत्यारोपण संबंधी दस्तावेज तैयार करने में कम से कम 2 से 3 माह का समय लगता है। इसके अलावा संस्थान में प्रत्यारोपण की वेटिंग 2 माह से चल रही है।
गुर्दे की सेहत के लिए ये खायें
गुर्दों को स्वस्थ्य रखना है तो नीबू, संतरा और मौसमी जैसे रसीले फलों के सेवन करना चाहिए। इसमें साइटस पर्याप्त मात्रा में होता हैं। जो गुर्दे में हानिकारक तत्वों को जमने नहीं देता है। इससे पथरी का खतरा भी नहीं होता है। केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. एचएस पहवा ने बताया कि चाय व कॉफी का अत्याधिक सेवन नहीं करना चाहिए। इन दोनों पेय पदार्थों में ऑक्जीलेट काफी मात्रा में होता है जो गुर्दे के लिए नुकसानदेह होता है।
बढ़ रही है ट्यूमर जैसी परेशानी
इन दिनों गुर्दे में ट्यूमर की परेशानी भी बढ़ रही है। अब ट्यूमर के लिए पूरा गुर्दा ऑपरेशन कर निकालने की जरूरत नहीं पड़ती। तीन से चार सेंटीमीटर तक के ट्यूमर को लैप्रोस्कोप से निकाला जा सकता है। केजीएमयू यूरोलॉजी विभाग में यह ऑपरेशन शुरू हो गया है। अब तक 16 ऑपरेशन कर गुर्दे को बचाया जा चुका है। डॉ. शशिकांत मिश्र ने कहा कि पेशाब संबंधी बीमारी का इलाज आसान हो गया है। इसमें प्रोस्टेट, गॉल ब्लेडर, गुर्दे की पथरी, ट्यूमर व पानी की थैली का ऑपरेशन दूरबीन से मुमकिन हो गया है।
बिना डॉक्टर की सलाह के न खाएं दवा
केजीएमयू यूरोलॉजी विभाग के डॉ. मनोज यादव ने कहा कि मौजूदा समय में लोग अच्छी सेहत के लिए विटमिन और कैल्शियम की गोली धड़ाधड़ खा रहे हैं। डॉक्टर की सलाह लेने की भी जरूरत महसूस नहीं करते हैं। यह खतरनाक है। अत्याधिक मल्टी विटमिन, कैल्शियम आदि की गोली का असर गुर्दों पर पड़ता है। गुर्दों के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही दवाओं का सेवन करना चाहिए। खान-पान पर ध्यान दें। मौसमी फल खाएं। कसरत करें। इससे सेहत सलामत रहेगी।
नियमित करें कसरत
डॉ. शशिकांत मिश्र के मुताबिक गुर्दे के मरीज के खान-पान के साथ कसरत पर भी ध्यान दें। नियमित सुबह और शाम को टहलें। तनाव से बचें। ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें। डॉक्टर की सलाह पर ही दवाओं का सेवन करें। उन्होंने बताया कि जो गुर्दा रोगी नियमित व्यायाम करते हैं उनमें बीमारी के बढ़ने की रफ्तार धीमी हो जाती है। मरीज लंबे समय तक सेहतमंद जीवन जी सकता है। डायलिसिस की जरूरत को भी टाला जा सकता है। दवाओं की खुराक में भी कमी आ सकती है।
फैक्ट्स
-60 साल की उम्र पार करने वाले 60 प्रतिशत लोगों को प्रोस्टेट की परेशानी हो सकती है
-यूपी की एक प्रतिशत आबादी गुर्दे की बीमारी की जद में
-10 प्रतिशत आबादी गुर्दे की पथरी की चपेट में है
-10 प्रतिशत मरीजों को पेशाब में रूकावट की परेशानी से जूझ रहे हैं।
सावधान रहें
-बार-बार पेशाब आने पर
-पेशाब में जलन
-पेशाब के साथ खून आना
-दर्द के साथ पेशाब होना
-रूक-रूक कर पेशाब होना
-रात में कई बार पेशाब लगना।