गोमती नगर में रहने वाली लकी बताती हैं कि वह अपने बेटे को नियमित रूप से दूध देती हैं क्योंकि इसमे बच्चो की आवश्यकता के अनुसार सम्पूर्ण विटामिन्स व पोषक तत्व होते है। उनकी बेटे को दूध से महक आती है इसलिए वह दूध में चोकलेट पाउडर, कॉम्पलेन,बादाम या मेवे डालकर दूध देती हैं। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की मुख्य पोषण विशेषज्ञ डॉ. सुनीता सक्सेना बताती हैं कि दूध प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट , फैट, कैल्शियम, ऊर्जा और विटामिन “बी” का अच्छा स्त्रोत होता है। साथ ही इसमें आयोडीन, फास्फोरस व पोटैशियम भी पाया जाता है। दूध और दूध से बने पदार्थ बच्चों और किशोरों में हड्डियों को मजबूत करते हैं। डा. सुनीता बताती हैं- 100 मिली दूध में 3.5 – 4 ग्राम अच्छी गुणवत्ता का प्रोटीन होता है। साथ ही फुल क्रीम दूध में 167 कैलोरी ऊर्जा व बिना क्रीम के दूध में 67 कैलोरी ऊर्जा होती है। यदि कोई सामान्य वयस्क प्रतिदिन 450 मिली कोई दूध लेता है तो उसके दैनिक कैल्शियम की मात्रा पूरी हो जाती है। डॉ. सुनीता बताती हैं कि जिन व्यक्तियों को पेट सम्बन्धी समस्या होती है उन्हें दूध की जगह दही या मट्ठे का उपयोग करना चाहिए ताकि हाजमा दुरुस्त रहे।
राजकीय आयुर्वेद संस्थान व अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डा. मंदीप जायसवाल बताते हैं कि हल्दी मिलाकर दूध पीने से हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसे गोल्डन मिल्क भी कहते हैं। दूध में हल्दी मिलाने से कैल्शियम का अवशोषण भी अधिक हो जाता है इससे हड्डियाँ अधिक मजबूत होती हैं। यह एंटी एलर्जिक होता है । यह अस्थमा व त्वचा सम्बन्धी बीमारियों में भी लाभदायक होता है। हल्दी वाले दूध के सेवन से चोट व घाव जल्दी भरते हैं। हल्दी वाला दूध अनिद्रा व तनाव को भी दूर करता है। यह मानसिक बीमारियों में भी फायदेमंद होता है। यह ब्रेन टोनिक के रूप में काम करता है इसलिए बच्चों को देने की सलाह दी जाती है। डॉ. मंदीप जायसवाल बताते हैं कि एसिडिटी की समस्या होने पर आधा पानी मिश्रित ठंडा दूध तत्काल पेट में जलन से लाभदायी होता है। ठंडा गाढ़ा दूध पचने में भारी होता है इसलिए गाढ़ा नहीं पीना चाहिए।