इस शिविर में उन्होंने मधुमेह रोग क्या है , रोग की परिभाषा, प्रकार, कारण, लक्षण, इन्सुलिन का महत्व तथा बीमारी से कैसे बचा जाय आदि की समग्र जानकारी अपने अनुभव व वैज्ञानिक तथ्यों के आधार से दी. डाक्टर साहू ने बताया कि diabetes अनुवांशिक हो सकता है अर्थात परिवार में किसी को यह रोग होने पर उसकी संतति में रोग पनपने की संभावना रहती है परन्तु उससे भी अधिक चिंताजनक हैं ।
परिवेशीय कारण इनमें भी प्रमुख है मोटापा , असंयमित भोजन, मीठी चीजें अधिक खाना, शहरीकरण, सुविधापरक जीवनशैली, खेती में रासायनिक खाद व कीटनाशकों का प्रयोग, स्टेरॉयड दवाओं का सेवन तथा तनाव, दबाव व चिंता । जीवन जीने का जो ढंग बताया जाता है तथा राजयोग का अभ्यास कराया जाता है उससे मनुष्य की दिनचर्या स्वतः व सहज ही व्यवस्थित हो जाती है . खान पान में संतुलन व सात्विकता आने के साथ ही आत्मिक बल भी इतना बढ़ जाता है कि तनाव , चिंता , भय निकट भी नहीं आते हैं. ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पढाई है ही निर्विकारी , गुणसंपन्न एवं श्रेष्ठ आचरण युक्त आदर्श मानव बनाने की. अतः जब रोग लाने वाले कारक ही समूल नष्ट हो जाते तो जीवन स्वस्थ और सुखद हो ही जाता है ।
उन्होंने बताया कि मधुमेह असंक्रामक रोग है और इस पर पूरा नियंत्रण पाया जा सकता है. कहते हैं “उपचार से बचाव बेहतर”. अतः रोग से बचाव के लिए भोजन , व्यायाम तथा मेडिटेशन पर विशेष अटेंशन रखना होगा। यद्यपि संतुलित-सात्विक आहार और नियमित व्यायाम बहुत लाभकारी है लेकिन सर्वाधिक महवपूर्ण है मेडिटेशन उन्होंने इसे उपचार का अध्यात्मिक आयाम (Holistic Approach) बताया। क्योंकि आत्मा स्वस्थ तो तन मन भी स्वस्थ. प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय में परमात्मा का जो ज्ञान एवं शिक्षायें दी जाती हैं ।