इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए यू०पी०टी०बी० एसोसिएशन के अध्यक्ष आर० सी० त्रिपाठी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से वर्ष 2025 तक क्षय रोग के खात्मे का संकल्प लिया है l आज की आवश्यकता है कि प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा किया जाए
नेशनल टी० बी० टास्क फोर्स के वाइस चेयरमैन तथा यू०पी०टी०बी० एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० राजेन्द्र प्रसाद ने इस अवसर पर कहा कि टी० बी० श्वांस के रोग से जुड़ा एक प्रमुख रोग है l उन्होनें कहा कि वर्ष 2025 तक टी०बी० के ‘मिसिंग केसेज़’ को चिन्हित करना एक बड़ी चुनौती है l उन्होनें कहा कि इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं l उन्होनें कहा कि क्षय रोग (टी०बी०) के निदान के लिए मल्टी ड्रग रेजिस्टेन्ट तथा एकट्रिमली ड्रग रेजिस्टेन्ट क्षय रोगियों की बढ़ती संख्या पर काबू पाने की दिशा में भी युद्ध स्तर पर प्रयास करने की ज़रूरत है l डॉ० प्रसाद ने कहा कि श्वांस से जुड़े रोग ‘क्रानिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज’ (सी०ओ०पी० डी०) के रोगियों की संख्या में भी देश तथा प्रदेश में निरंतर वृद्धि हो रही है l इस समय केवल उत्तर प्रदेश में इस रोग के रोगियों की संख्या लगभग 99 लाख है l यह एक चिंता का विषय है l इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए l
इस मौके पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रो० आर०एस० कुशवाहा ने अवगत कराया कि श्वांस से जुड़ा क्षय रोग एक संक्रामक रोग है जो माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबर कुलोसिस से फैलता है l उन्होनें कहा भारत में लगभग 50 करोड़ लोग क्षय रोग से संक्रमित हैं किन्तु सभी को सक्रिय क्षय रोग नहीं है l
यू०पी०टी०बी० एसोसीएशन के अवैतनिक सचिव डॉ० टी०पी० सिंह ने कहा कि श्वांस रोगियों में जागरूकता की कमी के कारण 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत रोगी ही इलाज करवाने के लिए चिकित्सकों के पास पहुंचते हैं l
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ राजीव गर्ग ने अस्थमा (दमा) रोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “दमा दम के साथ ही जाता है l राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट के सहायक प्रोफेसर डॉ० निखिल गुप्ता ने कहा कि बीमार लोगों में सांस फूलने के कई कारण हो सकते हैं l इस प्रक्रिया को किसी विशेष बिमारी से जोड़कर नहीं देखना चाहिए l बल्कि सही कारण जानकार ही इलाज करवाया जाना चाहिए l तभी रोग का निवारण हो सकेगा