12 डिजिट का होगा आधार कार्ड पशुपालन विभाग के मुख्य सचिव भुवनेश कुमार ने बताया कि सभी गायों और भैसों का मार्च 2021 तक 12 डिजिट का आधार कार्ड होगा। उत्तर प्रदेश ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य होगा। इससे न केवल गोकशी रुकेगी, बल्कि पशुओं का अवैध ट्रांसपोर्टेशन भी रूकेगा। उन्होंने कहा कि सभी पशुओं की पहचान उसकी उम्र, लंबाई, स्वामित्व, नस्ल इत्यादि से होगी। यहां तक की आवारा पशुओं की भी जिओ टैगिंग की जाएगी। अगर कोई मालिक पशु की देखभाल बंद कर देता है, तो जिओ टैग के सहारो उसे ढ़ंढा जा सकता है और उक्त व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। पशुओं पर पीले रंग का जिओटैग लगाया जाएगा, जिसमें पशुओं के लोकेशन को ट्रैक करने के लिए एक रेडियो चिप लगा होगा। इससे आवारा पशुओं द्वारा फसलों की हानि पर भी नजर रखी जा सकेगी, क्योंकि जिओ टैग के बाद आवारा पशुओं के मालिक को खोजा जा सकेगा और उसपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
क्षमता बेहतर करना उद्देश्य सूत्रों के मुताबिक इस प्रयास का उद्दश्य गायों और भैसों के नस्ल को उन्नत करना और दूध देने की क्षमता को बेहतर करना है। साथ ही खोये पशुओं को इसके सहारे अब आसानी से खोजा जा सकता है। मुख्य सचिव ने कहा, किसानों को भी आवारा पशुओं को रखने के लिए जगह देकर गौपालक बनने का अवसर प्राप्त होगा। सरकार डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांस्फर के जरिए गौपालकों को प्रतिमाह प्रत्यके गायों के लिए 900 रुपये मुहैया कराएगी। गौपालक दूध, गौमूत्र और गोबर बेचकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करेंगे।
क्या है पशु आधार कार्ड केंद्र सरकार के दिशा निर्देश में प्रदेश सरकार पूरे पशुधन की जानकारी से संबंधित एक विशाल डेटाबेस बनाया जा रही है। सरकार की कोशिश है कि पशुधन के जरिए किसानों की आमदनी बढ़ाई जाए। केंद्रीय पशुपालन विभाग के मुताबिक अगले डेढ़ साल में लगभग 50 करोड़ से अधिक मवेशियों को उनके मालिक, उनकी नस्ल एवं उत्पादकता का पता लगाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यूनिक आईडी दी जाएगी। मवेशियों के कान में 8 ग्राम के वजन वाला पीला टैग लगाया जाएगा। इसी टैग पर 12 अंकों का आधार नंबर चस्पा होगा। जिसे पशु आधार कार्ड के नाम से जाना जाएगा।