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उत्तर प्रदेश में सभी गोवंशों का बन रहा आधार कार्ड, जानें क्या होंगे उसके फायदे, गौपालकों के लिए भी सरकार का बड़ा तोहफा

locationलखनऊPublished: Oct 12, 2020 02:51:29 pm

– UP में गोवंश का बन रहा आधार कार्ड, अनिवार्य हुई ईयर टैगिंग
– यूपी में मार्च 2021 तक 5.2 करोड़ पशुओं की होगी जिओ टैगिंग
– सरकार गौपालकों को प्रतिमाह प्रत्यके गायों के लिए देगी 900 रुपये

उत्तर प्रदेश में सभी गोवंश का बन रहा आधार कार्ड, होगी अलग पहचान, गौपालकों के लिए भी सरकार का बड़ा तोहफा

उत्तर प्रदेश में सभी गोवंश का बन रहा आधार कार्ड, होगी अलग पहचान, गौपालकों के लिए भी सरकार का बड़ा तोहफा

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में हर गोवंश की अपनी अलग पहचान होगी। इसके लिए गाय और अन्य गोवंश की ईयर टैगिंग की जा रही है। इसमें प्रत्येक पशु को 12 अंकों का यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जा रहा है। यह एक तरीके से पशुओं का आधार कार्ड है। इसमें उनसे जुड़ी सभी जानकारियां होंगी। ईयर टैगिंग के लिए पशुपालकों से कोई फीस नहीं ली जा रही है। प्रमुख सचिव पशुपालन भुवनेश कुमार ने बताया है कि टीका लगाते वक्त पशु की ईयर टैगिंग अनिवार्य की गई है, जिसके तहत पीले कार्ड को पशु के कान में लगाया जा रहा है। इसमें पशु की उम्र, लोकेशन, प्रजाति, ब्रिडिंग और टीकाकरण की स्थिति के साथ-साथ दूध की मात्रा कद काठी और पालक का नाम आधार व फोन नंबर जानकारी दर्ज की जा रही है। मार्च 2021 तक करीब 5.2 करोड़ गायों और भैसों को जिओ टैग किये जाने का लक्ष्य है। वहीं 1.3 करोड़ पशुओं को पहले ही जिओ टैग किया जा चुका है। इन पशुओं में 66 लाख गाय और 67 लाख भैंस शामिल है। साथ ही आवारा पशुओं को रखने के लिए सरकार गौपालकों को प्रतिमाह प्रत्यके गायों के लिए 900 रुपये मुहैया कराएगी।
12 डिजिट का होगा आधार कार्ड

पशुपालन विभाग के मुख्य सचिव भुवनेश कुमार ने बताया कि सभी गायों और भैसों का मार्च 2021 तक 12 डिजिट का आधार कार्ड होगा। उत्तर प्रदेश ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य होगा। इससे न केवल गोकशी रुकेगी, बल्कि पशुओं का अवैध ट्रांसपोर्टेशन भी रूकेगा। उन्होंने कहा कि सभी पशुओं की पहचान उसकी उम्र, लंबाई, स्वामित्व, नस्ल इत्यादि से होगी। यहां तक की आवारा पशुओं की भी जिओ टैगिंग की जाएगी। अगर कोई मालिक पशु की देखभाल बंद कर देता है, तो जिओ टैग के सहारो उसे ढ़ंढा जा सकता है और उक्त व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। पशुओं पर पीले रंग का जिओटैग लगाया जाएगा, जिसमें पशुओं के लोकेशन को ट्रैक करने के लिए एक रेडियो चिप लगा होगा। इससे आवारा पशुओं द्वारा फसलों की हानि पर भी नजर रखी जा सकेगी, क्योंकि जिओ टैग के बाद आवारा पशुओं के मालिक को खोजा जा सकेगा और उसपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
क्षमता बेहतर करना उद्देश्य

सूत्रों के मुताबिक इस प्रयास का उद्दश्य गायों और भैसों के नस्ल को उन्नत करना और दूध देने की क्षमता को बेहतर करना है। साथ ही खोये पशुओं को इसके सहारे अब आसानी से खोजा जा सकता है। मुख्य सचिव ने कहा, किसानों को भी आवारा पशुओं को रखने के लिए जगह देकर गौपालक बनने का अवसर प्राप्त होगा। सरकार डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांस्फर के जरिए गौपालकों को प्रतिमाह प्रत्यके गायों के लिए 900 रुपये मुहैया कराएगी। गौपालक दूध, गौमूत्र और गोबर बेचकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करेंगे।
क्या है पशु आधार कार्ड

केंद्र सरकार के दिशा निर्देश में प्रदेश सरकार पूरे पशुधन की जानकारी से संबंधित एक विशाल डेटाबेस बनाया जा रही है। सरकार की कोशिश है कि पशुधन के जरिए किसानों की आमदनी बढ़ाई जाए। केंद्रीय पशुपालन विभाग के मुताबिक अगले डेढ़ साल में लगभग 50 करोड़ से अधिक मवेशियों को उनके मालिक, उनकी नस्ल एवं उत्पादकता का पता लगाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यूनिक आईडी दी जाएगी। मवेशियों के कान में 8 ग्राम के वजन वाला पीला टैग लगाया जाएगा। इसी टैग पर 12 अंकों का आधार नंबर चस्पा होगा। जिसे पशु आधार कार्ड के नाम से जाना जाएगा।

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