समयसीमा निर्धारित विद्युत वितरण संहिता-2005 में ब्रेक डाउन, केबल फॉल्ट, ट्रांसफार्मर बदलने, नया कनेक्शन लेने, मीटर रीडिंग, लोड घटाने-बढ़ाने समेत अन्य तमाम तरह की शिकायतों के निस्तारण के लिए समयसीमा निर्धारित की गई है। समयसीमा का उल्लंघन करने पर मुआवजे की राशि का भी प्रावधान है। इसके बावजूद बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं की समस्या का निस्तारण समय से नहीं करती हैं। इससे उपभोक्ताओं को परेशानी के साथ ही आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। बिजली विभाग के ढुलमुल रवैये पर नकेल कसने के लिए योगी सरकार ने यह कड़ा रुख अपनाया है। राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष कई जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इसके आधार पर ही आयोग ने नया स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेगुलेशन-2019 तैयार किया है, जो अब प्रभावी हो गया है। खास बात यह है कि इस कानून के तहत बिजली कंपनियों द्वारा भुगतान की जाने वाली मुआवजे की राशि उपभोक्ताओं की बिजली दरों (एआरआर) में शामिल नहीं होगी।
शिकायत से दो महीने में देना होगा मुआवजा स्टैंडर्ड ऑफ परमार्फेंस रेगुलेशन-2019 के तहत बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं को शिकायत से दो माह यानी अधिकतम 60 दिन में मुआवजा देना होगा। मुआवजे की राशि उपभोक्ता के एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। उदाहरण के तौर पर अगर एक किलोवाट भार क्षमता का कनेक्शन वाला उपभोक्ता अगर महीने में 100 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज देता है, तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ। ऐसे में उस उपभोक्ता को एक वर्ष में अधिकतम 360 रुपये ही मुआवजा मिल पाएगा।
जताया आभार राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य समिति सलाहकार के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा है कि इससे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचारी पर शिकंजा कसेगा। यह बिजली उपभोक्ताओं की जीत है। उन्होंने कानून को कड़ाई से लागू करने किया।
मुआवजे की दर
कॉल रेट के लिए सामान्य समस्या के लिए हाईटेंशन कनेक्शन के लिए घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए बिल संबंधी शिकायत पर मीटर रीडिंग शिकायत पर