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स्प्रिंकलर प्रणाली से जुड़ेंगे बुंदेलखंड के खेत-तालाब

locationलखनऊPublished: Jun 28, 2022 03:12:48 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

प्रदेश सरकार किसानों को 90 फीसद तक अनुदान

स्प्रिंकलर प्रणाली से जुड़ेंगे बुंदेलखंड के खेत-तालाब

स्प्रिंकलर प्रणाली से जुड़ेंगे बुंदेलखंड के खेत-तालाब

बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के खेतों की प्यास बुझाने के लिए बन चुके और बनने वाले खेत-तालाबों को सरकार बहुपयोगी बनाएगी। इस क्रम में सरकार जिन किसानों के खेत में ये तालाब खुदे हैं या खुदने वाले हैं, उनको स्प्रिंकलर प्रणाली से जोड़ेगी। ऐसा होने पर सिंचाई की लागत एवं इसमें लगने वाला समय बचेगा। खेत मे एक समान नमीं होने से उपज भी बढ़ेगी। साथ ही परंपरागत सिंचाई विधा की तुलना में आधे से कम पानी लगेगा। इस बचे हुए पानी के जरिए सरकार किसानों को कृषि विविधीकरण (मछली पालन, मछली सह बत्तख पालन, सिंघाड़े की खेती) के लिए प्रोत्साहित करेगी।
मकसद यह है कि ऐसा करके किसान अपनी आय बढ़ाएं। खेत तालाबों को सिंचाई की अपेक्षाकृत दक्ष विधा स्प्रिंकलर प्रणाली से जोड़ने का जिक्र कृषि विभाग ने मंत्रिपरिषद के सामने दो महीने पहले दिए गए अपने प्रस्तुतीकरण में भी किया था। स्प्रिंकलर को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार 90 फीसद तक अनुदान भी देती है।

मालूम हो कि अपेक्षाकृत कम बारिश वाले बुंदेलखंड एवं विंध्य क्षेत्र में कुछ सालों के अंतराल पर सूखा पड़ने आम है। ऐसे में मानसून के सीजन के दौरान होने वाली बारिश के पानी को सहेजने के लिए सरकार ने खेत तालाब योजना शुरू की। इसके कई लाभ थे। मसलन सूखे के समय इन तालाबों का पानी सिंचाई एवं मवेशियों के पीने का काम आता है। तालाब के आसपास के भूगर्भ जल का स्तर भी ऊपर आता।
बुनदेखंड एवं विंध्य क्षेत्र के लिहाज से बेहद उपयोगी इस योजना के तहत योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में कुल 24583 खेत तालाबों का निर्माण हुआ। इनके जरिए 1.80 लाख किसान लाभान्वित हुए। साथ ही सिंचन क्षमता में 2.65 लाख हेक्टेयर का विस्तार हुआ।पारदर्शिता के लिए इन तालाबों की जियो टैगिंग के साथ-साथ डीबीटी के माध्यम से किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान देय होता है।

योजना के लाभ के मद्देनजर योगी-02 में चरणबद्ध तरीके से अगले पांच साल में 37500 खेत-तालाब बनाने की है। इसमें कुल 457.25 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इन सभी तालाबों में एकत्र होने वाले पानी का किसानों को अधिकतम लाभ मिले इसके लिए इनको स्प्रिंकलर प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
इसी क्रम में कम पानी में अधिक रकबे की सिंचाई के लिए बतौर मॉडल सरकार तीन स्प्रिंकलर परियोजनाओं पर काम कर रही है। इनमें मसगांव चिल्ली( हमीरपुर) कुलपहाड़ (महोबा) और शहजाद (ललितपुर) परियोजनाएं शामिल हैं। बाद में सिंचाई की अन्य परियोजनाओं को भी स्प्रिंकलर से जोड़े जाने की भी योजना है। खेत-तालाब योजना के तहत निर्मित तालाबों को भी सरकार स्प्रिंकलर से जोड़ेगी।

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि बुंदेलखंड के लोगों के खेतों को भरपूर पानी मिले यह मुख्यमंत्री की प्राथमिकता है। अभी हाल में इजरायल का एक प्रतिनिधिमंडल मिला था, जिससे इस सिलसिले में बात हुई थी। स्प्रिंकलर प्रणाली से कृषि बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

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