यूपी में योगी सरकार के बनते ही जेपीएनआईसी पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगा. कहा गया कि यह सेंटर घोटाले का पर्याय है। इस प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपए की अनियमितता की बात सामने आते ही योगी सरकार ने जांच के आदेश दिए. आरोप लगे थे कि 200 करोड़ के प्रोजेक्ट की लागत को 4 गुणा बढ़ा दिया गया. योगी सरकार के दो मंत्रियों ने जांच भी की। यही नहीं एलडीए की ऑडिट सेल और पीडब्ल्यूडी के इंजिनियरों वाली जांच समिति की रिपोर्ट में भी विरोधाभास दिखा। ऑडिट सेल ने टेंडर होने के बाद लागत 200 करोड़ से बढ़कर 800 करोड़ किए जाने पर आपत्ति जताते हुए तत्कालीन एलडीए वीसी सत्येंद्र सिंह यादव को रिपोर्ट सौंपी थी।
ये है पूरी टाइमलाइन
9 जनवरी 2006 : अधिकारियों ने जेपी कन्वेंशन सेंटर की अनुमानित लागत 189 करोड़ 76 लाख रुपये बताई। 26 मार्च 2012: प्रॉजेक्ट को सिग्नेचर बिल्डिंग घोषित कर डिजाइन में बदलाव का फैसला किया गया।
9 जनवरी 2006 : अधिकारियों ने जेपी कन्वेंशन सेंटर की अनुमानित लागत 189 करोड़ 76 लाख रुपये बताई। 26 मार्च 2012: प्रॉजेक्ट को सिग्नेचर बिल्डिंग घोषित कर डिजाइन में बदलाव का फैसला किया गया।
19 दिसंबर 2012 : नए बदलावों के साथ प्रोजेक्ट की नई अनुमानित लागत 421 करोड़ 93 लाख रुपये बताई गई। 11 दिसंबर 2014 : डीपीआर में नई डिजाइन और निर्माण के मुताबिक खर्च का आंकड़ा 666 करोड़ 81 लाख रुपये पहुंच गया।
30 जुलाई 2015 : डिजाइन में नई विशिष्टियां जोड़े जाने के कारण 864 करोड़ 99 लाख रुपये खर्च होने की बात कही जाने लगी। जेपीएनआईसी की जांच के लिए योगी सरकार ने पांच समितियों बनाईं जिसमें तीन समितियों ने जहां सिविल वर्क की जांच पड़ताल की तो वहीं दो समितियों ने विद्युत और यांत्रिक कार्यों की जांच पड़ताल की है। जिसमें काफी गड़बड़ी पाई गई है। मंगलवार को ये जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव आवास को सौंपी गई। जिसके बाद अब कहा जा रहा है कि जेपीएनआईसी के गुनहगारों पर कार्यवाई की जाएगी।
घोटाले और भ्रष्टाचार के बीच यह भी खबर आई कि वित्तीय अनियमितताएं इतनी ज्यादा नहीं है। लिहाजा पुराने कांट्रेक्टर से ही निर्माण कार्य जारी रखा गया। अब लखनऊ को फ़रवरी में पहला इंटरनेशनल सेंटर मिल जाएगा। योगी सरकार भी इसी इंटरनेशनल सेंटर में अपना पहला इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन भी करेगी।