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लखनऊ

योगी सरकार ने 17 अतिपिछड़ी जातियों के साथ किया मजाक!!!

समाज कल्याण मंत्री का बयान बिल्कुल सत्यता से परे – लौटन राम निषाद
 

लखनऊAug 14, 2019 / 05:47 pm

Anil Ankur

cm yogi

CM yogi

लखनऊ. मण्डल कमीशन के संदर्भ में 16 नवम्बर,1992 को आये निर्णय के बाद मुलायम सिंह यादव की सरकार ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जातिध्जनजाति व अन्य पिछड़ावर्ग आरक्षण अधिनियम 1994 संख्या-4 धारा-13(भाग-1 व 2 ) संविधान प्रदत्त व्यवस्था के तहत लागू किये थे।
उक्त के सम्बंध में राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चै.लौटनराम निषाद ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि सरकार ने इसी अधिनियम की बात तो की,पर लागू करने में गलत तरीके अपनाया।उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 जून को जो शासनादेश जारी कराया है, परन्तु अभी तक इन अतिपिछड़ी-निषाद, मल्लाह,केवट,बिन्द, माँझी, मछुआ,धीवर, धीमर, रैकवार, तुरहा, गोड़िया,कहार,कश्यप,बाथम,भर,राजभर,कुम्हार, प्रजापति आदि को अनुसूचित जाति का आरक्षण व प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है। उन्होने योगी सरकार पर 17 अतिपिछडी जातियों के साथ मजाक का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने इन जातियों को झूठा झांसा दिखाकर ***** बनाया है।
निषाद ने बताया कि उत्तर प्रदेश के अधिनियम -1994 संख्या-4 धारा 13 भाग 1 यह कहती है कि प्रदेश सरकार अगर माननीय राजपाल से अनुरोध करे तो पिछड़ी जाति की सूची से किसी जाति को निकाला जा सकता हैं,वही धारा 13 भाग 2 यह इजाजत देता हैं कि इसी क्रम में प्रदेश सरकार के निवेदन पर उसी प्रदेश में राज्यपाल के अधिकार के तहत उस प्रदेश की अनुसूचिति जाति की लिस्ट में समान जाति को जोड़ा भी जा सकता है।लेकिन राज्य सरकार ने समनामी/पर्यायवाची जातियों को पूर्व से अनुसूचित जाति की सूची में शामिल जाति के साथ परिभाषित न कर शामिल किए जाने का शासनादेश जारी कराया है। उन्होने कहा कि राज्य सरकार अधिनियम 1994 के अनुसार मझवार, तुरैहा, गोंड, शिल्पकार, बेलदार व पासी तड़माली के साथ परिभाषित कर स्पष्ट शासनादेश जारी करा आरक्षण दिला सकती थी। परन्तु योगी सरकार ने दोहरी राजनीति चला है।
निषाद ने कहा है कि समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री का वह बयान सत्यता से परे है जिसमें उन्होने कहा है कि प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है लेकिन केन्द्र से अभी तक कोई निर्देश नहीं आया है। किसी प्रदेश की संघीय अधिकार की स्वतंत्र धारा 13 के अंतर्गत यह इजाजत है कि प्रदेश सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में धारा 13 भाग 1के द्वारा पिछड़ी जाति से विलोपन व धारा 13 भाग 2 के द्वारा अनुसूचिति जाति की सूची में पूर्व से शामिल जाति की समनामी या उपजाति को उसके साथ सूचीबद्ध करने का निवेदन राज्यपाल से कर सकती है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 17 अतिपिछड़ी जातियों के लिए ऐसा नहीं किया गया है।
निषाद ने बताया कि शासनादेश में स्पष्ट किया जाना चाहिए था कि मल्लाह,माँझी, केवट,बिन्द, मछुआ आदि मझवार की,गोड़िया, कहार, कश्यप,रैकवार,बाथम आदि गोंड़ की,धीमर,तुरहा, धीवर आदि तुरैहा की,भर,राजभर पासी की व कुम्हार,प्रजापति शिल्पकार की पर्यायवाची/समनामी/वंशानुगत नाम व उपजातियाँ हैं।
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