जिन्दा होते सारे पौधे तो जंगल में बदल जाता सारा शहर दरअसल हर वर्ष जुलाई के महीने में 1 जुलाई से 7 जुलाई तक वन महोत्सव सप्ताह मनाया जाता है। पिछले वर्ष सरकार ने पूरे प्रदेश में 5 करोड़ से अधिक पौधे रोपने का लक्ष्य रखा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सभी विभागों के मंत्रियों और अफसरों ने जोर शोर से इस अभियान में हिस्सा लिया था। हर वर्ष जुलाई के महीने में इसी तरह बड़े पैमाने पर सभी विभागों को साथ लेकर पौधारोपण का अभियान चलाया जाता है। इन सबके बीच जानकर यह सवाल उठाते हैं कि आखिरकार हर वर्ष करोड़ों की संख्या में पौधे रोपे जा रहे हैं और उसका असर व्यापक पैमाने पर दिखाई क्यों नहीं देता। जितनी संख्या में पौधे रोपे जाने का दावा किया जाता है, यदि वे वृक्ष का आकार ले लें तो शहर जंगल की तरह दिखने लगते लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दरअसल पेड़ लगाने के अभियान के बीच बहुत सारे आंकड़े कागजों पर तैयार होते हैं और इसके साथ ही रोपे गए पौधों की देखभाल न होने के कारण ज्यादातार पौधे नष्ट हो गए।
2016 में पौधरोपण ने बनाया वर्ल्ड रिकार्ड पौधारोपण के बाद उनके पेड़ बनने की प्रक्रिया तक पहुंचना भले ही मुश्किल होता हो लेकिन पौधारोपण को लेकर उत्तर प्रदेश में सरकारों में उत्साह की कमी कभी नहीं दिखी। साल 2016 में उत्तर प्रदेश सरकार के पौधारोपण अभियान को तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया था। तब 11 जुलाई के दिन पूरे प्रदेश में 6166 जगहों पर 5 करोड़ पौधे लगाकर विश्व रिकॉर्ड कायम किया गया था। ये सारे पौधे 8 घंटे के भीतर 81000 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाए गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों और प्रशासनिक अफसरों के साथ ही सामाजिक संगठनों ने भी बड़े पैमाने पर इसमें हिस्सा लिया था।
वन महोत्सव की शुरू हुई तैयारी इस वर्ष 1 जुलाई से शुरू होने जा रहे वन महोत्सव के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। राजधानी लखनऊ में वन विभाग 518 हेक्टेयर भूमि पर लगभग 10.07 लाख पौधे रोपेगा जबकि अन्य विभाग, संस्थाओं संगठनों की मदद से 601 हेक्टेयर में 10.65 लाख पौधे लगाए जायेंगे। पौधारोपण के लिए लखनऊ के मोहनलालगंज, सरोजनीनगर, बीकेटी, मलिहाबाद, काकोरी सहित अन्यक ग्रामीण इलाकों पर अधिक फोकस रहेगा। इससे पहले वर्ष 2017 में 670 हेक्टेयर जमीन पर 11.37 लाख और 2016 में 788 हेक्टेयर पर 12.79 लाख पौधे रोपे गए थे।