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कत्लखानों पर योगी सरकार का शिकंजा, 24 घंटे रहेगी निगरानी

locationलखनऊPublished: Nov 15, 2017 03:20:21 pm

Submitted by:

Dikshant Sharma

सीसीटीवी कैमरों से 24 घंटे निगरानी करेंगे सिटी मजिस्ट्रेट

Slaughter House

Slaughter House

आलोक पाण्डेय

लखनऊ. प्रदेश की सभी पशु वधशालाओं (स्लाटर हाउस) में सरकार 24 घंटे सीधी निगरानी रखेगी। दुधारु पशुओं के कत्ल अथवा निर्धारित संख्या से अधिक पशुओं को काटने पर लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। सीधी निगरानी के लिए सरकार ने प्रदेश के सभी कत्लखानों में सीसीटीवी कैमरे और अल्ट्रासाउंड मशीनों को लगवाने का आदेश दिया है। स्लाटर हाउस मालिकों को अपने खर्चे पर दोनों सुविधाएं मुहैया करानी होंगी। अल्ट्रासाउंड मशीनों की स्कैनिंग और सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग संबंधित जिले के सिटी मजिस्ट्रेट के मोबाइल और आफिस टीवी स्क्रीन पर दिखती रहेगी। इस फैसले से नाराज स्लाटर हाउस मालिकों ने उगाही का जरिया बताया है, जबकि मांस कारोबारियों ने आशंका जताई है कि प्रदेश में एक बारगी फिर मांस का संकट होगा।
दुधारू पशुओं के कत्ल पर गंभीर हुई सरकार

राज्य सरकार को बीते दिनों दुग्ध उत्पादन विभाग की एक रिपोर्ट से जानकारी हुई कि सालाना प्रदेश में तेजी के साथ दुग्ध उत्पादन गिर रहा है। कारण जानने पर मालूम हुआ कि बड़े पैमाने पर दुधारू पशुओं को बांझ और बूढ़ा बताकर स्लाटर हाउस में काटा जाता है। इसके अतिरिक्त स्लाटर हाउस रोजाना की अनुमति से ज्यादा पशुओं को काट रहे हैं। इसी के मद्देनजर सरकार ने फैसला लिया है कि प्रदेश के सभी कत्लखानों में सीसीटीवी के साथ-साथ अल्ट्रासाउंड मशीनों का लगाना अनिवार्य होगा। स्लाटर हाउस के हलाल प्वाइंट पर पशुओं को भेजने से पहले सभी मादा पशुओं को अल्ट्रासाउंड मशीनों से गुजारा जाएगा। अल्ट्रासाउंड मशीनों की स्कैनिंग सीधे सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय से जुड़ी रहेगी। ऐसे में गर्भवती मवेशियों को काटना नामुमकिन होगा।
सीसीटीवी कैमरों से 24 घंटे निगरानी करेंगे सिटी मजिस्ट्रेट

बीती आठ नवंबर को जारी आदेश में स्लाटर हाउसों से कहा गया है कि हलाल प्वाइंट समेत प्रत्येक मुख्य स्थान पर सीसीटीवी लगाकर ऑऩलाइन फुटेज का लिंक सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय से जोड़ा जाए। उन्नाव के जिलाधिकारी रविकुमार एनजी ने बताया कि 30 नवंबर तक सभी स्लाटर हाउस को आदेश पर अनिवार्य रूप से अमल करना होगा। इसके साथ ही स्लाटर हाउस को रोजाना काटे जाने वाले पशुओं की संख्या और जानवर उपलब्ध कराने वालों को भुगतान का विवरण प्रस्तुत करना होगा। उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले विभिन्न स्लाटर हाउस में तैनात किए गए पशु चिकित्सा अधिकारियों की सलाह पर अल्ट्रासाउंड मशीनों को लगाने के लिए कहा गया है। कारण यहकि बगैर अल्ट्रासाउंड मशीनों के गर्भधारण के शुरुआती 120 दिन में किसी मवेशी के गर्भवती होने की स्थिति मालूम करना मुश्किल होता है।
यूपी में एक बार फिर होगा मांस का संकट!

सरकार के इस फैसले से यूपी के मांस कारोबारी नाराज हैं। कारोबारियों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ सरकार मांस के कारोबार को उजाडऩे पर उतारू है। पहले अवैध बूचडख़ानों पर पाबंदी, फिर लाइसेंस रिन्यूवल में दिक्कत… और अब सीसीटीवी कैमरे और अल्ट्रासाउंड मशीनों का तुगलकी आदेश। उन्नाव के मीट एक्सपोर्टर आफताब आलम कहते हैं कि नए आदेश से उगाही बढऩा तय है। इसके साथ ही उत्पादन लागत बढ़ेगी तो मांस भी महंगा होगा। एक अन्य कारोबारी जावेद असलम कहते हैं कि नतीजे में कई छोटे स्लाटर हाउस बंद होंगे, जिसके कारण यूपी में बीते दिनों की तरह फिर मांस की किल्लत बढ़ेगी। पर्यावरण विभाग की प्रमुख सचिव रेणुका कुमार ने फैसले को जायज बताते हुए कहाकि गड़बड़ी नहीं करते हैं तो निगरानी से परहेज क्यों?
मीट कारोबारियों की संस्था के प्रवक्ता फैजान अल्वी अव्वल सरकार का फैसला कबूल नहीं है, कारण यहकि सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग का सोशल मीडिया पर वायरल होने का खतरा रहेगा। मुमकिन है कि किसी भैस के कत्ल को गाय का वध बता दिया जाएगा, नतीजे में स्लाटर हाउस को बर्बाद करने वालों की भीड़ उमड़ पड़ेगी। इसके अतिरिक्त सरकार को समझना चाहिए कि इस्लाम में यकीन रखने वाला कोई भी व्यक्ति गर्भवती मवेशी का वध नहीं करेगा, साथ ही कोई किसान भी दुधारु जानवर को नहीं बेचता है।
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