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करियर बनाने के चक्कर में दिल के मरीज बन रहे युवा

locationलखनऊPublished: Oct 26, 2017 01:15:19 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

करियर बनाने के चक्कर में दिल के मरीज बन रहे युवा, 25 % से ज्यादा हार्ट पेशेंट की उम्र 45 साल से कम

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लखनऊ. करियर बनाने की होड़ में युवा दिल के मरीज बनते जा रहे हैं। राजधानी स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट (एसजीपीजीआई) की स्टडी में सामने आया है कि आजकल ज्यादातर युवा करियर के तनाव में हार्ट पेशेंट बनते जा रहे हैं। ज्यादातर युवा पढ़ाई के चक्कर में ज्यादा देर तक जगते हैं और पूरी नींद भी नहीं लेते। इसी कारण वे कार्डियक अरेस्ट के शिकार भी बनते जा रहे हैं।
संस्थान के कार्डियोजिस्ट्स की टीम ने लगभग दो हजार केस की स्टडी की है जिसमें 45 साल की कम उम्र में लोग कार्डियक अरेस्ट के शिकार हुए हैं। इन केस में ज्यादातर को हाई लेवल फिजिकल व मेंटल स्ट्रेस रहा है। स्ट्रेस से बचने के लिए कई बार युवा धूम्र पान शुरू कर देते हैं जिससे उनके शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है।
कार्डियोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया के वाइस प्रसिडेंट प्रो. सत्येंद्र तिवारी का कहना है कि आजकल युवा हेल्थ से जुड़े तमाम रिस्क लेते हैं जिसका असर दिल पर पड़ता है। उनका लाइफस्टाइल इसके लिए जिम्मेदार है। कई युवा जेनेटिक फैक्टर्स के कारण भी हार्ट पेशेंट बन जाते हैं। कई परिवारों में मां-बाप दोनों हार्ट पेशेंट होते हैं जिसका असर बच्चे की सेहत पर भी पड़ता है।
उनके मुताबिक ये प्रोफेशनल 12 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, ठीक से खाना नहीं खाते। इसके अलावा सिगरेट व शराब के आदि हो जाते हैं। इस कारण दिल से संबंधित बीमारियों के चांस बढ़ जाते हैं।
लिपोप्रोटीन नामक बायोमार्कर की क्षमता इनके शरीर में अधिक पाई गई है। उनके मुताबिक अक्सर युवा कॉलेज व प्रोफेशनल लाइफ में सिगरेट व शराब के आदि हो जाते हैं जो कि उनके लिए घातक साबित होता है।
क्या है कार्डियक अरेस्ट

कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब आप का दिल रक्त संचार करना बंद कर देता है। अगर किसी का दिल अचानक काम करना बंद कर दे, सांस ना आ रही हो तो ऐसा स्थिती में कार्डियक अरेस्ट ही कारण होता है। ऐसे पीड़ित को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए।
कार्डियक अरेस्ट के कारण

कार्डियक अरेस्ट का सबसे बड़ा कारण है असामान्य हृदय गति, वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन (वीएफ) और यह तब होता है जब रक्त में अधिक मात्रा में फाइब्रिनोजन पाया जाता है जिससे हृदय रक्त का संचार करना बंद कर देता है।
करियर काउंसलर आरसी पांडे की मानें तो करियर को लेकर छात्रों में काफी टेंशन रहने लगी है। कई छात्र जब भी क्वेरी के लिए आते हैं उनमें एक अजीब सा स्ट्रेस साफ देखा जाता है। यही कारण है कि कम उम्र में भी छात्र तमाम तरह की बीमारियों से घिर जाते हैं।
यूएस और यूरोप में दिल से संबंधित बीमारी आम तौर पर 65 साल की उम्र के बाद होती हैं लेकिन भारत में 50 की औसतन उम्र के भी कई हार्ट पेशेंट हैं। चौकाने वाली बात ये है कि 25 % से ज्यादा हार्ट पेशेंट की उम्र 45 साल से भी कम है।
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