तीन महीने से अस्पताल में थीं
ज़रीना बेगम पिछले तीन महीने से अस्पताल में भर्ती थीं। उनके दामाद नावेद आरोप लगाते हैं कि इतनी बड़ी गायिका को जिस प्रकार चिकित्सा सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल सकीं। उनके इलाज पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया और सरकार एवं संस्कृति विभाग ने भी कोई खोज-खबर नहीं ली।उन्हें गुर्दे में संक्रमण था। तीन दिन पहले उन्हें सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती किया गया। डालीगंज के निजी चिकित्सालय में सुबह करीब सात बजे उनका निधन हो गया।
ज़रीना बेगम पिछले तीन महीने से अस्पताल में भर्ती थीं। उनके दामाद नावेद आरोप लगाते हैं कि इतनी बड़ी गायिका को जिस प्रकार चिकित्सा सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल सकीं। उनके इलाज पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया और सरकार एवं संस्कृति विभाग ने भी कोई खोज-खबर नहीं ली।उन्हें गुर्दे में संक्रमण था। तीन दिन पहले उन्हें सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती किया गया। डालीगंज के निजी चिकित्सालय में सुबह करीब सात बजे उनका निधन हो गया।
मुफलिसी में बीते आखिरी दिन
ज़रीना बेगम की जिंदगी के आखिरी कुछ महीने बेहद मुफलिसी में बीते। बॉलीवुड सिंगर कविता सेठ कहती हैं कि एक साल पहले मैं उनके घर उनसे मिलने गई थी। अवध की इतनी बड़ी गायिका की मुफलिसी देखकर मुझे हैरानी हुई थी। एक कलाकार जो अपनी पूरी जिंदगी दूसरों को एंटरटेन करने में गुजार देता है, उसके प्रति क्या लोगों की कोई जिम्मेदारी नहीं होती।सूफी नृत्यांगना मंजरी चतुर्वेदी कहती हैं कि मैं बीस साल से उन्हें जानती थी। उनकी तबीयत खराब थी। मैं अपने फाउंडेशन के जरिए उनकी मदद भी करती थी।
ज़रीना बेगम की जिंदगी के आखिरी कुछ महीने बेहद मुफलिसी में बीते। बॉलीवुड सिंगर कविता सेठ कहती हैं कि एक साल पहले मैं उनके घर उनसे मिलने गई थी। अवध की इतनी बड़ी गायिका की मुफलिसी देखकर मुझे हैरानी हुई थी। एक कलाकार जो अपनी पूरी जिंदगी दूसरों को एंटरटेन करने में गुजार देता है, उसके प्रति क्या लोगों की कोई जिम्मेदारी नहीं होती।सूफी नृत्यांगना मंजरी चतुर्वेदी कहती हैं कि मैं बीस साल से उन्हें जानती थी। उनकी तबीयत खराब थी। मैं अपने फाउंडेशन के जरिए उनकी मदद भी करती थी।
‘द लास्ट सॉन्ग ऑफ अवध’ में दी थी परफॉर्मेंस उनके परिवार के लोग बताते हैं कि ज़रीना ने अपनी आखिरी परफॉर्मेंस 23 मई 2014 को दिल्ली में ‘द लास्ट सॉन्ग ऑफ अवध’ में ज दी थी। इससे पहले उन्होंने यही कहा था कि मैं एक बार फिर से बनारसी साड़ी पहनकर मंच पर गाना चाहती हूं। उन्होंने बताया था कि ‘यह हारमोनियम मैंने मुरादाबाद से लिया था। दिन रात इसी से रियाज़ करती थी और हर महफिल में इसे साथ रखती थी।’ लखनऊ के हाता खुदाबक्श में अपने एक दिव्यांग बेटे अयूब, बेटी रूबीना और दामाद नावेद के साथ रहने वाली ज़रीना की आखिरी ख्वाइश अधूरी रह गई।
ज़रीना का करियर
अपने जमाने की मशहूर गायक बेगम अख्तर ने उनको बैठक गायिकी के अदब और तौर-तरीके सिखाए। इसके बाद जरीना ने शौहर तबला-नवाज कुरबान अली के साथ देशभर की महफिलों में अपनी गायिकी के जौहर बिखेरे। आकाशवाणी ने भी उनको ए ग्रेड आर्टिस्ट के रूप में स्वीकार किया