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” जिंदा” हुनमान के चमत्कार का है हर कोई मुरीद

locationलखनऊPublished: Sep 24, 2018 08:16:19 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

लोगों की मानें तो ये मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तों के प्रसाद भी खाती है।
 

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” जिंदा” हुनमान के चमत्कार का है हर कोई है मुरीद

दिनेश शाक्य
इटावा. पवनपुत्र यानि बंजरगबली के चमत्कार से हर कोई युगों युगों से वाकिफ है। यमुना नदी के किनारे बसे महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े यहां के बीहड में बंजरगबली के मंदिर हनुमान जी की एक ऐसी मूर्ति स्थापित है जिसके चमत्कार के आगे हर कोई नतमस्तक है। सालो से कोई भी श्रद्धालु इस मूर्ति का मुख भरने का साहस नहीं कर पाया है।
कई प्रदेश के हनुमान भक्त हैं मुरीद
महाभारत कालीन सभ्यता इटावा में स्थापित इस मंदिर में कई राज्यों के हनुमान भक्त अपनी आस्था के चलते पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। इस मूर्ति के उदगम के बारे में कहा जाता है कि प्रतापनेर के राजा हुक्म तेजप्रताप सिंह को ऐसा सपना आया जिसमें इस मूर्ति के इसी स्थान पर निकले होने की बात बताई गई। जिसके बाद राजा ने इस मूर्ति को अपने महल में काबिज करने की कोशिश की, लेकिन राजा हार गया और हनुमान जी की मूर्ति आज अपने स्वरूप में हनुमान भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
चौहान वंश के आखिरी राजा ने बनवाया मंदिर
यह चमत्कारिक मंदिर चौहान वंश के अंतिम राजा हुक्म देव प्रताप की रियासत में बनाया गया था। यहां पर महाबली हनुमान की प्रतिमा लेटी हुई है और लोगों की मानें तो ये मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तों के प्रसाद भी खाती है। यहां की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में महाबली हनुमान जी की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित नहीं है। कहा जाता है यहां हनुमान जी खुद जीवित रूप में विराजमान हैं।
पिलुआ हनुमान मंदिर का इतिहास
यह मंदिर 300 साल पहले यह क्षेत्र प्रतापनेर के राजा हुक्म चंद्र प्रताप सिंह चौहान के अधीन था। एक दिन हनुमान जी ने राजा को सपने में दर्शन दिया और इस मूर्ति के बारें में बताया। फिर राजा उस स्थान पर गए और इस मूर्ति को अपने महल ले जाने की कोशिश करने लगे। राजा के लाख कोशिश करने के बाद भी यह मूर्ति बिल्कुल भी नहीं हिली। फिर राजा ने विधि-विधान से इसी स्थान पर प्रतिमा की स्थापना कराकर मंदिर का निर्माण कराया। धीरे-धीरे यह मंदिर हनुमान भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया।
पिलुआ मंदिर में हनुमान की मूर्ति
मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति दक्षिण दिशा में मुख करे हुए लेटी हुई है। हनुमान जी की इस प्रतिमा के मुख में हर वक्त पानी भरा रहता है। कितना भी प्रसाद मुंह में डालो पूरा प्रसाद मुंह में समा जाता है। आज तक किसी को पता नहीं चला कि यह प्रसाद जाता कहां हैं। यह मंदिर लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है। लोगों ने मूर्ति से साँस लेने और राम-राम की आवाज भी सुनी हैं। उनका कहना है कि हनुमान जी अभी भी जीवित हैं और राम-राम का जप करते हैं। पानी के बुलबले की भी आवाज आती है।
हनुमान जी करते हैं लोगों की मुरादें पूरी
बीहड़ों में निर्जन स्थान पर एक टीले पर मंदिर स्थित होने के बावजूद हर मंगलवार को भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ता है। जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आता है बजरंग बली के द्वार से खाली नहीं लौटता। श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी कई मन्नतें लेकर आते हैं और मान्यता है कि सच्चे दिल से मांगी गई मुरादें बजरंगबली पूरी करते हैं।
इतिहासकार का मत
इटावा के के.के. कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा. शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि बीहड़ में स्थापति हनुमान मंदिर की मूर्ति अपने आप में कई चमत्कार समेटे हुए है, लेकिन आज तक इसके इस रहस्य को कोई पता नहीं लगा पाया कि इसके मुखार बिंदु में प्रसाद के रूप में जाने वाला दूध, पानी और लडडू आखिरकार जाता कहां है। इसको चमत्कार नहीं तो और क्या कहा जायेगा।
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महंत की जुबानी
हनुमान मंदिर के मुख्य मंहत धर्मेंद्र दास का कहना है कि वैसे तो हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति इलाहबाद में भी है, लेकिन जैसी मूर्ति यहां पर है ऐसी दूसरी मूर्ति देश और दुनिया के किसी भी दूसरे हिस्से में नहीं है। हनुमान जी की इस प्रतिमा के मुख में हर वक्त पानी भरा रहता है। कितना भी प्रसाद मुंह में डालो पूरा प्रसाद मुंह में समा जाता है। आज तक किसी को पता नहीं चला कि यह प्रसाद जाता कहां हैं। महाबली हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई है और लोगों की माने तो ये मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तो के प्रसाद भी खाती है। कहा जाता है यहां हनुमान जी खुद जीवित रूप में विराजमान हैं।
पुलिस अधिकारी का तर्क
अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण रामबदन सिंह का कहना है कि हनुमान मंदिर का चमत्कार अपने आप मे अनोखा इसलिए है क्योंकि जब वह इटावा में पुलिस उपाधीक्षक के तौर पर साल 2004 में तैनात थे उस समय मंदिर के पास ही चौहद के आसपास हथियार बंद डकैत पकड़े गये थे, लेकिन किसी डकैत की भक्त को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत नहीं पड़ी थी। इसे बंजरग बली के ही चमत्कार का प्रभाव माना जाता है।
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