लुधियाना

पंजाब उग्रवाद के लिए अब भी है संवेदनशील, खालिस्तान समर्थक नारों का नहीं हुआ अंत, विचारधाराओं की खाई अब भी बरकरार

उधर पंजाब में अक्टूबर 2015 में गुरूग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाओं के विरोध में प्रदर्शन करते सिखों पर पुलिस फायरिंग के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर छह माह फरीदकोट जिले के बरगाडी में धरना देने वाले बरगाडी इंसाफ मोर्चा के नेताओं के बीच दरार दिखाई दी…

लुधियानाJun 07, 2019 / 05:50 pm

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पंजाब उग्रवाद के लिए अब भी है संवेदनशील, खालिस्तान समर्थक नारों का नहीं हुआ अंत, विचारधाराओं की खाई अब भी बरकरार

(चंडीगढ,लुधियाना): पंजाब में अभी खालिस्तान समर्थक नारों का अंत नहीं हुआ है। विचारधाराओं की खाई अब भी दिखाई देती है। खालिस्तानी उग्रवाद को समाप्त करने के लिए बल प्रयोग करने वाले नेताओं और अफसरों के फोटो वाले पोस्टर प्रदेश में बर्दाश्त नहीं किए जा रहे है। लुधियाना में ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार की 35 वीं बरसी के मौके पर प्रदर्शित किए गए ऐसे पोस्टरों के विरोध को लेकर दो समुदायों के लोगों के बीच सशस्त्र टकराव होते—होते बचा। पुलिस ने किसी तरह से शांति भंग करने से रोका।

 

लुधियाना के पुराने शहर में ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार की बरसी के दिन तब तनाव पैदा हो गया था जबकि शिवसेना द्वारा लगाए गए पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और पूर्व पुलिस महानिदेशक केपीएस गिल, पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एएस वैद्य के फोटो लगे पोस्टर फाड दिए गए। पोस्टर फाडे जाने की जानकारी मिलते ही कुछ लोग चैडा बाजार के चौक में जमा हो गए और धरने पर बैठ गए। वे पोस्टर फाडने वालों को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे।


बाद में यह सभी प्राचीन मंदिर सांगला वाला शिवाला पहुंच गए। दूसरे समुदाय के लोग भी वहां पहुंच गए। दोनों पक्ष हाथों में तलवार लिए एक दूसरे को ललकारते दिखाई दिए। इस पर पुलिस आयुक्त अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस दोनों पक्षों को समझा पाती इससे पहले ही दूसरी ओर से प्रदर्शनकारियों पर पत्थर व बोतलें फेंकी जाने लगी। पुलिस ने दोनों पक्षों के लोगों को तितर-बितर कर इलाके की घेराबंदी का शाति भंग होने से रोका। लेकिन इतने घटनाक्रम पर ही बाजार में भय पैदा हो गया और लोग अपनी दुकानें बंन्द कर चले गए।

 

इससे पहले सुबह सिख कार्यकर्ताओं ने मार्च निकाला और खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए तलवारें लहराई थी। पुलिस तलवारें लहराने और पोस्टर फाडने वालों की पहचान कर कार्रवाई करने की बात कह रही है। पंजाब में उग्रवाद के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि के लिए हवन का आयोजन भी सालाना किया जाता रहा है लेकिन इस बार पुलिस ने रोक दिया। जनरल एएस वैद्य को श्रद्धांजलि के लिए भी हवन का आयोजन किया गया।

 

उधर पंजाब में अक्टूबर 2015 में गुरूग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाओं के विरोध में प्रदर्शन करते सिखों पर पुलिस फायरिंग के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर छह माह फरीदकोट जिले के बरगाडी में धरना देने वाले बरगाडी इंसाफ मोर्चा के नेताओं के बीच दरार दिखाई दी और उन्होंने ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार की बरसी के कार्यक्रम अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अलग-अलग किए।


अकाल तख्त के समानान्तर कार्यवाहक जत्थेदार ध्यान सिंह मंड, अकाल तख्त के समानान्तर जत्थेदार जगतार सिंह हवारा द्वारा नियुक्त कमेटी के सदस्यों और अकाली दल-अमृतसर के नेताओं ने एक-दूसरे से दूरी बनाए रखी। इसी तरह तख्त दमदमा साहिब के समानान्तर जत्थेदार बलजीत सिंह डडू बाद में स्वर्ण मंदिर पहुंचे।

 

टारगेट किलिंग से लेकर आतंकवादी माॅडयूल तक पकडे जाने की घटनाएं बताती है कि अभी पंजाब को पूरी तरह शांत मान लेना भूल होगी। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रदेश की शांति भंग करने के लिए लगातार सक्रिय रही है। समय-समय पर इसके प्रमाण मिलते रहे है। ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार की बरसी के मौके पर स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान समर्थकों और शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के कार्यबल के बीच इस बार भी टकराव हुआ। यह घटना सालाना रूप ले चुकी हे। खालिस्तान समर्थकों और कार्यबल के बीच टकराव के दौरान तलवारें लहराई गईं और पगडियां उछाल दी गई। टकराव को पुलिस की मदद से रोका गया। स्वर्ण मंदिर के आसपास इस दौरान बाजार बन्द रहे।

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