लुधियाना

कोरोना काल में बदल रहा पंजाब, युवा अपने देश में ही पूरे करेंगे ख्वाब

-धान की बिजाई के लिए खेतों में उतर रहे एनआरआई
– अब नौजवान पीढ़ी संभालेगी प्रवासी मजदूरों की जगह

लुधियानाMay 20, 2020 / 01:06 pm

Bhanu Pratap

tractor

लुधियाना । पंजाब में धान की बुआई सिर पर है। प्रवासी मजदूर पंजाब से पलायन कर चुके हैं। पंजाब के युवा जो बाहर थे, वह पंजाब में लौट चुके हैं। पंजाब में धान की बुआई ज्यादातर बिहार के खेत मजदूरों पर ही निर्भर थी। 90% खेत मजदूर पंजाब से जा चुका है। अब पंजाब के युवाओं ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए इस बार खुद धान की बुआई करने की सोच ली है। इसके लिए पंजाब के अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर, बटाला, जालंधर, लुधियाना ने जितने भी युवा बाहर से लौटे हैं और जो गांव में खाली हैं, वह सब अपनी अपनी या दिहाड़ी पर खेतों में काम करने के लिए उतर आए हैं। इससे युवाओं के लिए काम की कमी भी खत्म हो गई और किसानों का धान बुवाई का मसला भी हल हो गया यानी अब किसानों को खेती के लिए खेती मजदूरों की तलाश करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
किसान नेता हरदेव सिंह

बटाला से किसान नेता हरदेव सिंह कहते हैं राज्य में बहुत काम है, मगर हमारा नौजवान सिर्फ एक ही रट पकड़े हुए था कि बाहर जाना है और बाहर से पैसा कमा कर लाना है वहां जाकर वह चाहे मजदूरी ही करें इसमें वह खुश था नगर करोना महामारी ने युवाओं को बहुत बड़ा सबक दिया है कि अपने घर में जैसी भी मिले वैसी खा लो
करतारपुर से सरदार बंता सिंह

जालंधर के करतारपुर से सरदार बंता सिंह कहते हैं मैं पिछले 10 साल से 20 एकड़ जमीन में धान होता हूं। हर साल बिहार से लेबर आती थी और हजारों रुपया ले जाती थी। अब इस बार अपना रुपया अपने ही घर में रह जाएगा। हमारे युवाओं ने जो बीड़ा उठाया है, वह सराहनीय है। बाहर धक्के खाने से तो अच्छा है घर का पैसा घर में ही रह जाए।
तरनतारन किसान नेता सरबजीत सिंह

तरनतारन किसान नेता सरबजीत सिंह कहते हैं हम नौजवानों को समझाते रहे कि घर में काम करो बाहर जाकर क्या रखा है, पर तब उन्हें समझ नहीं आती थी। करोना महामारी फैलने के बाद अब उन्हें समझ में आ रहा है कि आखिर अपना घर अपना ही होता है। घर पर मेहनत करेंगे, रूखी-सूखी जो मिलेगी खा लेंगे। हम बाहर से आए खेत मजदूरों को हजारों रुपया धान लगाने के लिए देते हैं। हम अपने ही बच्चों को देंगे ताकि वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें।
तरनतारन कें युवा जसबीर सिंह

तरनतारन कें युवा जसबीर सिंह ने कहा कि मैं दुबई काम करने गया था। लॉकडाउन के बाद वहां फँस गया, निकलने की कोई राह नहीं थी। वाहेगुरु ने मेहर की, घर पहुंच गए। अब कहीं नहीं जाना है। यही काम करना है मेहनत करनी है और पैसा कमाना है। वहां भी मजदूरी करते थे, यहां भी कर लेंगे। हम लोगों ने एक ग्रुप बनाया है, जिसमें 20 लोग हैं। हम खेतों में काम करेंगे और धान की बुवाई करेंगे, जिससे हमारे घरों में पैसा आएगा और किसानों की समस्या का हल भी हो जाएगा।
बटाला के लखबीर सिंह गोल्डी

इसी तरह बटाला के लखबीर सिंह गोल्डी कहते हैं – वह मलेशिया में काम करते थे। पैकिंग का महीने का 25 से 30 हजार रुपये कमाते थे। कोरोना महामारी से देश के देश उजड़ते देखे तो रहा नहीं गया। समझ में आया कि अपना देश अपना ही होता है और अपना घर अपना। आ गए घर। बना ली यारों की टोली। उतर गए खेत में। धान की बुआई करेंगे और पैसा कमाएंगे।
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