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बंगलूरू साम्प्रदायिक हिंसा में जहां जानें चली गई, वहीं अपनी जान दाव पर लगाकर लोगों की जान बचा रहा है यह शख्स

locationमधुबनीPublished: Aug 15, 2020 07:01:17 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

(Bihar News ) एक तरफ जहां बंगलौर में साम्प्रदायिक (Bangalore communal violence ) हिंसा का नंगा नाच खेला गया, सोशल मीडिया (Poision on Social Media ) पर इस मुद्दे को लेकर खूब जहर उगला जा रहा है, वहीं बिहार के एक छोटे से गांव में एक शख्स अपनी जान पर खेल कर (This person is saving life) दूसरों को जहर से बचा रहा है। यह शख्स अपनी जान की परवाह न करते हुए साम्प्रदायिक सौहार्द का सेतू बना रहा है।

बंगलूरू साम्प्रदायिक हिंसा में जहां जानें चली गई, वहीं अपनी जान दाव पर लगाकर लोगों की जान बचा रहा है यह शख्स

बंगलूरू साम्प्रदायिक हिंसा में जहां जानें चली गई, वहीं अपनी जान दाव पर लगाकर लोगों की जान बचा रहा है यह शख्स

मधुबनी(बिहार): (Bihar News ) एक तरफ जहां बंगलूरू में साम्प्रदायिक (Bangalore communal violence ) हिंसा का नंगा नाच खेला गया, सोशल मीडिया (Poision on Social Media ) पर इस मुद्दे को लेकर खूब जहर उगला जा रहा है, वहीं बिहार के एक छोटे से गांव में एक शख्स अपनी जान पर खेल कर (This person is saving life) दूसरों को जहर से बचा रहा है। यह शख्स अपनी जान की परवाह न करते हुए साम्प्रदायिक सौहार्द का सेतू बना रहा है। गंगा-जमुनी संस्कृति को बचाने के लिए इंसानियत का धर्म निभाते हुए अब तक सैकड़ों लोगों के दिल-दिमाग से मौत का डर बाहर निकाल चुका है। ऐसा करते हुए कई बार इसकी जान पर बन आई, इसके बावजूद इसने मानवता के धर्म की राह को नहीं छोड़ा। इस काम के लिए इस शख्स को न किसी तारीफ की जरुरत है और ना ही किसी पुरस्कार और रूपयों की। बसे वह अपनी धुन में मानवता की सेवा करते हुए चले जा रहे हैं। वह सेवा भी ऐसी कि जिसे करने में अच्छे-अच्छों के होश फाख्ता हो जाएं।

सैकड़ों की बचा चुके जान
सांप का नाम लेते ही बदन में झुरझरी पैदा हो जाती है, सोचिए कि वही जहरीला सांप यदि घर में घुस आए तो परिवार के लोगों की क्या हालत होती होगी। सर्पदंश से जान जाने के भय से डर के मारे प्राण सूख जाते होंगे। ऐसे लोगों का जीवन बचाने में जुटा हुआ तैयब मस्तान। अब तक इस पुनीत कार्य से सैकड़ों लोगों की जान बचा चुके हैं। दरअसल मस्तान सांप पकडऩे में माहिर हैं। इसे मानवता की सेवा का लक्ष्य समझते हुए तत्काल और निशुल्क करते हैं।

विरासत में मिली विधा
जिले के कलुआही प्रखंड के मलमल बलुआ टोल निवासी 40 वर्षीय तैयब मस्तान पलक झपकते ही किसी जहरीले से जहरीले सांप को पकड़ कर पिटारे में बंद कर देते हैं। बड़ी बात तो यह कि घर में जहरीले सांप के होने या न होने तथा जगह विशेष पर ही होने की सटीक जानकारी भी वे पल भर में ही वहां की मिट्टी की गंध से कर लेते हैं। उन्होंने एक सप्ताह के अंदर ही स्थानीय बेहटा, मनियरवा, खजौली सहित आसपास के गांवों के दर्जनों लोगों के आवासीय घरों से कई विषैले सांपों को पकड़ बाहर निकाला है। वे बताते हैं कि 10 वर्ष की उम्र से ही वे इस जोखिम भरे काम को कर रहे हैं। उन्हें अपने पिता मो. जलील मस्तान से ही ये विधा विरासत में मिली है। कहते हैं कि सांपों को पकडऩे के लिए हिम्मत व तजुर्बे की जरूरत है।

पीडि़त को तत्काल ले जाएं अस्पताल
जहरीले सांपों को पकडऩा उनके लिए एक कला है। वे कहते हैं कि उन्हीं के परिवार की नई पीढ़ी इस कला को नहीं अपनाना चाहती। वे नई सोच के साथ जीना चाहते हैं, किन्तु ये कला जीवंत रहनी चाहिए। इससे लोगों का भला होता है। वे सांपों को पकडऩे या काटने की स्थिति में झाडफ़ंूक, तंत्र-मंत्र या ताबीज के उपयोग को पूरी तरह नकारते हैं। कहते हैं कि इसी झमेले में पडऩे से लोगों की जान चली जाती है। उनका कहना है कि सांप काटने पर लोगों को समय गंवाए बिना तत्काल स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र जाना चाहिए, जहां इसका समुचित इलाज उपलब्ध है। सांप पकडऩे के क्रम में एक बार वे खुद भी सर्प दंश के शिकार हुए हैं, किन्तु डॉक्टर से इलाज उपरान्त पुन: वे स्वस्थ्य हो गए। वे बताते हैं कि सर्पदंश कि स्थिति में लोगों को घबराना नहीं चाहिए। स्वजनों को भी ढांढस बंधाना चाहिए। उसे तुरन्त चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।

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