2014 में इनमें से छह सीटों पर एनडीए का आरजेडी से सीधा मुकाबला था। जबकि दो सीटों सासाराम और गोपालगंज में कांग्रेस से टक्कर थी। काराकाट में उपेंद्र कुशवाहा की तब आरजेडी से सीधी टक्कर थी जहां मोदी के प्रभाव ने कुशवाहा को 95 हजार से जीत दर्ज़ करा दी। कुशवाहा इस बार महागठबंधन में हैं और काराकाट में इनको जदयू के महाबली सिंह ने बुरी तरह घेर रखा है। पिछली बार जदयू अलग चुनाव लड़ा और उसके महाबली सिंह मात्र 76 हजार वोट ही ला पाए थे।
सासाराम में भी मोदी का असर पिछली बार की ही तरह दिखने लगा है। कांग्रेस की मीरा कुमार पिछले चुनाव में भाजपा के छेदी पासवान से 1.76 लाख से हराया था। छेदी पासवान इस बार भी मोदीमय माहौल में बेहद आह्लादित हो रहे हैं। इसी तरह आरा में भी केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को मोदीमय हुए माहौल का लाभ फिर मिल सकता है। पिछली बार से उलट इन्हें इस बार जदयू की मीना सिंह को मिले 75 हजार वोटों का भी प्रत्यक्ष जुड़ाव का फायदा मिल सकता है।
सारण में लालू प्रसाद की प्रतिष्ठा सीधे दांव पर है। भाजपा के राजीव प्रताप रूडी ने राबड़ी देवी को तब 41 हजार वोटों से पराजित कर दिया था। रूडी को 3.55, राबड़ी को 3.14 और जदयू के सलीम परवेज को 1.07 लाख वोट मिले थे। भाजपा इस बार मोदी के मुद्दे की गरमाहट के बीच जदयू के जुड़ने का भी लाभ हासिल करने वाली है।
महाराजगंज में आरजेडी के दबंग नेता प्रभुनाथ सिंह की पिछले चुनाव में भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था। इस बार आरजेडी ने उनके पुत्र रणवीर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जदयू ने 2014 में मनोरंजन सिंह को खड़ा किया था जिन्हें डेढ़ लाख वोट मिले थे। सिग्रीवाल 3.20 हजार वोट लाकर जीते जबकि प्रभुनाथ को 2.80 लाख वोट मिले थे। जदयू के साथ भाजपा इस चुनाव में मोदी के नाम पर और बढ़त हासिल करने की लड़ाई लड़ रही है।
बनारस की बयार का असर शहाबुद्दीन के टेरर वाले सिवान में भी दिख रहा है। इस बार यह सीट भाजपा ने जदयू को दे दिया है। पिछली बार भाजपा के ओमप्रकाश यादव ने शहाबुद्दीन की पत्नी हीना सहाब को 1.14 लाख मतों के अंतर से हराया था। इस बार जदयू की कविता सिंह को भी मोदीमय माहौल का सहारा है।
गोपालगंज में भाजपा के जनक राम कांग्रेस की ज्योति भारती से 2.87 वोटों के अंतर से जीते थे। इस बार भाजपा ने जदयू को सीट दे दी। जदयू ने आलोक सुमन और आरजेडी ने सुरेंद्र राम को मैदान में उतार रखा है। सामाजिक समीकरणों के हिसाब से छिड़ी जबर्दस्त लड़ाई में एनडीए को बनारस की बयार का बड़ा सहारा मिलने की प्रतीक्षा है।
आखिरी चरण की आठ महत्वपूर्ण सीटों में एक बक्सर भी है जहां भाजपा के आश्विनी चौबे आरजेडी के जगदानंद सिंह के मुकाबले में फंसे हैं। इन्हें बनारस का माहौल ही जीत सकने के हालात में ला सकता है। नरेंद्र मोदी यहां 14 मई को सभा कर माहौल बदलने में कामयाब हो सकते हैं। फिलहाल दोनों में खूब लडा़ई छिड़ी है। पिछले चुनाव में अश्विनी चौबे ने 1.32 हजार वोटों के अंतर से जगदानंद सिंह को पराजित किया था। चौबे को 3.19 लाख, जगदानंद को 1.86और बसपा के ददन यादव को 1.84 लाख वोट मिले थे।