कोमाखान पुलिस को शिकायतकर्ता यतेंद्रप्रताप सिंह ने बताया कि उनके पूर्वजों ने 1858 में श्रीराधाकृष्ण मंदिर और जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। दोनों मंदिर के लिए 5 किलो चांदी के 5 मुकुट बनवाए थे। मंदिर में पूजा व देखरेख के लिए ट्रस्ट बनाकर महंत को नियुक्त किया गया था। वर्तमान महंत दीपक दास को 2008 से ही मंदिर व ट्रस्ट की देखरेख कर रहा था। वर्ष 2012 व 13 में दीपक महंत ने भगवान के मुकुट को खरियार रोड में गिरवी रख दिया था। जिसके बाद दबाव बनाकर मुकुट को वापस लाया गया था।
वर्ष 2019 में भी पांच मुकुट से रथयात्रा में भगवान का शृंगार किया गया था। 2020 में रथयात्रा नहीं निकाली गई। इस वजह से किसी का ध्यान नहीं गया। 2021 में रथयात्रा के लिए 10 जुलाई को मीटिंग रखी गई थी। जिसमें मुकुट के बारे में पूछताछ की तो महंत गोल-मोल जवाब देने लगा। इस संबंध में गांव में बैठक बुलाकर चर्चा की गई, पर कोई जवाब नहीं मिला। मुकुट की अनुमानित कीमत 3 लाख 50 हजार रुपए है। शिकायत पर आरोपी दीपक महंत पर धारा 406 के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया गया है।