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कुपोषण से मुक्ति दिलाने के प्रयासों के बावजूद मामूली सुधार, कुपोषण से लड़ रहे जिले के 5066 बच्चे

locationमहासमुंदPublished: Jan 25, 2020 04:24:18 pm

Submitted by:

Bhawna Chaudhary

तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद जिलेभर में 5066 बच्चे कुपोषण से जंग लड़ रहे हैं।

कुपोषण से मुक्ति दिलाने के प्रयासों के बावजूद मामूली सुधार, कुपोषण से लड़ रहे जिले के 5066 बच्चे

कुपोषण से मुक्ति दिलाने के प्रयासों के बावजूद मामूली सुधार, कुपोषण से लड़ रहे जिले के 5066 बच्चे

महासमुंद. तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद जिलेभर में 5066 बच्चे कुपोषण से जंग लड़ रहे हैं। हालांकि, 2019 के मुकाबले इस वर्ष गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या में 385 की कमी आई है, पर अंतर बड़ा नहीं है। यही नहीं, बच्चों को कुपोषण से उबारने के लिए जिले में सिर्फ दो पोषण पुर्नवास केंद्र है । यहां 15-15 बच्चों का ही 15 दिन तक विशेष देखभाल किया जाता है।

नए आंकड़ों के मुताबिक जिले में कुपोषित बच्चों की 21 हजार 236 है। इसमें गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 5066 है। इन बच्चों के खान-पान सहित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए महासमुंद और सरायपाली में ही पोषण पुर्नवास केंद्र की व्यवस्था है। एक वर्ष लगभग से 700 बच्चों को ही इन केंद्रों का लाभ मिल पाता है।

दोनों पुर्नवास केंद्र में 15-15 सीट है। इसके अलावा विकासखंड बसना, पिथौरा, बागबाहरा के गंभीर कुपोषित बच्चों को इन्हीं दोनों केंद्र में लाया जाता है। सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे बागबाहरा में 1124 और सरायपाली में 1027 हैं। जिले में कुल बच्चों की संख्या 81675 है। सामान्य बच्चे 59739, मध्यम कुपोषित 16872 और कुपोषित बच्चे 5066 हैं। महासमुंद शहर में सबसे कम 169 ही कुपोषित बच्चे हैं।

यही नहीं, जिला अस्पताल को बच्चों को सुपोषित करने के मामले में प्रदेश में प्रथम स्थान भी मिल चुका है, लेकिन बच्चों की संख्या के हिसाब से अभी भी कम बच्चे ही लाभांवित हो रहे हैं। गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या के आधार पर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुविधाएं हैं, लेकिन कम हैं। पोषण पुनर्वास केंद्र के माध्यम से बच्चों में स्वास्थ्य में सुधार भी आता है और महिलाओं को भी प्रोत्साहन राशि प्रतिदिन के हिसाब से दी जाती है।

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