एसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी निवेशकों से रुपए लेकर दूसरे व्यवसाय में इनवेस्ट करता था। सेठी का असम में 70 करोड़ की चाय की बागान, लखनऊ के थाना हजरतगंज में 55 लाख व डॉली बाग में 50 लाख का फ्लैट, मुंबई में 2 करोड़ का ऑफिस, बाराबांकी में 300 व जगदीशपुर में 5 करोड़ की दवाई का प्लांट है।
एसपी ने बताया कि डॉ. सेठी कीडनी का डॉक्टर है। उसने छत्तीसगढ़ में तीन चिटफंड कंपनी बनाई। तुमगांव थाना अंतर्गत 247 लोगों से पैसे दोगुने करने का झांसा देकर करीब 34 लाख रुपए वसूले गए। जब पैसे लौटाने की बारी आई, तो सब बोरिया बिस्तर लेकर फरार हो गए।
तुमगांव पुलिस ने 18 दिसंबर 2015 को तुमगांव के जगदीश साहू की रिपोर्ट पर धारा 420, 34, 3, 4 प्राइज चिट्स एण्ड मनी सकुलेसन स्कीम एक्ट 1978 के तहत प्रशांत मजूमदार और एजेंट गणेश साहू एवं अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
वहीं, सेठी के खिलाफ 10 राज्यों में 7 जगहों पर एफआईआर भी दर्ज हैं। पुलिस ने बताया कि डॉ. पृथीपाल सेठी ने छत्तीसगढ़ में टोगो रिटेल मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड, जीओ साइन माइन्स 2 मेटल्स एवं जैग पालिमर्स तथा मिलानी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नाम की चिटफंड कंपनी बनाई थी। भिलाई निवासी कंपनी के डायरेक्टर पी मजूमदार एवं एजेंट गणेश साहू कंपनी का बॉण्ड पत्र देकर लोगों को रकम दोगुना करने झांसा देकर लाखों रुपए वसूले।
जब निवेशकों को पैसे नहीं मिले, तो मामला उजागर हुआ। तुमगांव के जगदीश साहू की रिपोर्ट पर मामला पंजीबद्ध किया गया। 247 आवेदकों से आवेदन लेकर एक ही एफआईआर तुमगांव थाने में दर्ज की गई। इन लोगों ने तुमगांव क्षेत्र के करीब 247 लोगों से 34 लाख लिए थे। वहीं, भिलाई के छावनी थाने में जुर्म दर्ज है।
71 लोगों के पैसे वापस
एफआईआर दर्ज होने की खबर मिलते ही मजूमदार और गणेश ने 71 लोगों के पैसे वापस कर दिए। शेष 176 लोगों का रकम दुगुना करके 53 लाख रुपए देना शेष है। सिंह ने बताया कि महासमुंद पुलिस ने भिलाई के प्रशांत मजूमदार एवं एजेंट को गिरफ्तार कर पूछताछ की। पूछताछ में पता चला कि इस मामले का मुख्य आरोपी मुंबई का पृथीपाल सेठी है।
त्रिपुरा, असम और वेस्ट बंगाल रहा टारगेट
डॉ. सेठी देशभर में करीब 29 कंपनियों का संचालन कर रहा था। इसके साथ एक आईबी का सेवानिवृत्त अफसर भी है। अभी अफसर दुबई में है। सेठी ने त्रिपुरा, असम व वेस्ट बंगाल में सबसे ज्यादा लोगों को ठगा। इन तीन जगहों से करीब 700 करोड़ की ठगी की।
फैक्ट्री की आमदनी से लोगों को पैसा लौटाएंगे
आरोपी पृथीपाल ने बताया कि रिसर्च के बाद कीडनी की दवाई बनाने के लिए फैक्ट्री की शुरुआत की थी। एके मदान धमकी देता था कि जैसा बोल रहे हैं, वैसा काम करो। सेठी ने पैसे लौटाने के सवाल पर कहा कि फैक्ट्री से जो आमदनी होगी, उससे लोगों का पैसा वापस करेंगे। छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनी का कारोबार मैनेजर प्रशांत मजूमदार ही देखता था। बताया जाता है कि पूरे देश में डॉ. पृथीपाल सेठी ने करीब 3500 करोड़ रुपए का बड़ा घोटाला किया है। हालांकि, अभी तक इसकी जांच-पड़ताल पूरी नहीं हुई है।