scriptपटवारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकडऩे के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने छोड़ा, उठे सवाल | Anti Corruption Bureau questioned on Patwari in bribery case | Patrika News

पटवारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकडऩे के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने छोड़ा, उठे सवाल

locationमहासमुंदPublished: Nov 09, 2017 07:27:03 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

महासमुंद में एेसा क्या हुआ कि रिश्वतखोर पटवारी पर कार्रवाई के बाद भी एंटी करप्शन ब्यूरो पर सवाल उठने लगे।

ips shocked of policeman work

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बागबाहरा/महासमुंद. कोमाखान पटवारी को गत 30 अक्टूबर को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकडऩे के बाद एसीबी ने उसे घटना स्थल पर ही मुचलके पर छोड़ दिया। जबकि कानून के जानकारों के अनुसार यह संज्ञेय और अजमानतीय अपराध की श्रेणी में आता है तथा ऐसे मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर सक्षम न्यायालय में पेश करना होता है। एसीबी ने ऐसा नहीं किया। इस कार्रवाई को लेकर एसीबी सवालों के घेरे में है।
अधिवक्ता प्रलय थिटे क्रिमिनल लॉयर महासमुंद के अनुसार रिश्वत के मामले में धारा ७ एवं १३ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं, जो कि अजमानतीय एवं संज्ञेय परिस्थिति के अपराध माने गए हैं। जमानतीय अपराधों में पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने की दशा में पुलिस घटनास्थल पर ही मुलजिम को जमानत पर छोड़ देती है, परन्तु अजमानतीय अपराधों की दशा में पुलिस को यह विवेकाधिकार प्राप्त नहीं है और उसे प्रत्येक स्थिति में संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना ही पड़ता है। और संबंधित मजिस्ट्रेट का यह विशेषाधिकार है कि वह चाहे तो ऐसे अभियुक्त को जमानत प्रदान करे अथवा जमानत निरस्त करे। परन्तु वर्तमान मामले में आश्चर्यजनक रूप से महिला पटवारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा तो गया, परन्तु बिना मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए ही जमानत मुचलके पर छोड़ दिया गया। जो कि पुलिस कानूनी रूप से ऐसा करने के लिए सक्षम और सशक्त नहीं थी। महिला पटवारी को गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर अभिरक्षा में सशक्त न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए था।
ये है मामला
परिवादी नागेन्द्र ठाकुर के चचेरे भाई मनीष ठाकुर ने अपने पिता की फौत उठाने तथा खेती की जमीन की नई ऋण पुस्तिका बनाकर देने की पटवारी से बात की। इस पर पटवारी ने ऋण पुस्तिका बनाने के एवज में २० हजार की मांग की थी। फिर 15 हजार रुपए में सहमति बनी। नागेन्द्र ठाकुर और पटवारी के बीच 5 हजार रुपए पहले और बाकी 10 हजार रुपए जमीन की ऋण पुस्तिका मिलने के बाद देने की बात तय हुई। इसके बाद नागेन्द्र ठाकुर ने पटवारी तथा इसके बीच रुपए के लेन-देन के सबंध में हुए संवाद की रिकार्डिंग के साथ पटवारी नंदा साहू के रिश्वत मांगने की शिकायत रायपुर एंटी करप्शन विभाग में की थी।
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