डिप्टी रेंजर शकिल कुरैशी के अनुसार ग्रामीणों ने बताया कि तीन-चार भालू अक्सर बेर खाने के लिए गांव के आसपास आ जाते हैं। शुक्रवार की अलसुबह चार बजे भी भालुओं का दल बेर खाने आया था। अंधेरा होने के कारण द्रौपती जोशी के मकान से लगे कुएं को नर भालू देख नहीं पाया और जा गिरा। एक भालू के गिरते ही उसके साथ आए भालू वहां से भाग गए। इधर, पांच बजे सुबह ग्रामीणों को भालू के चीखने की आवाज सुनाई दी। ग्रामीणों ने जब कुएं के पास जाकर देखा तो भालू कुएं में तैर रहा था। उक्त घटना की जानकारी ग्रामीणों ने वन विभाग को दी। ग्रामीणों ने बताया कि सुबह सूचना देने के कई घंटे बाद भी अमला वहां नहीं पहुंचा। इधर, भालू की हालत धीरे-धीरे खराब हो रही थी। जब तक वन अमला वहां पहुंचता, इससे पहले भालू ने दम तोड़ दिया। टीम ने रस्सी की सहायता से भालू को बाहर निकाला। इसके बाद भालू को पिथौरा काष्ठागार पीएम के लिए ले गए। डिप्टी रेंजर शकील कुरैशी ने बताया कि पानी अधिक पीने के कारण भालू की मौत हो गई थी।
काष्ठागार में हुआ अंतिम संस्कार
डिप्टी रेंजर कुरैशी ने बताया कि मृत भालू की उम्र करीब ३ वर्ष की है। भालू का काष्ठागार में पीएम कराकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है। बताया जाता है कि भालुओं को शहद व बेर अधिक प्रिय हंै। इसी वजह से भालुओं का दल गांव के आसपास बेर खाने के लिए पहुंचता है। ग्रामीणों ने रात में भी कई बार भालुओं को विचरण करते हुए देखा है। इस क्षेत्र में भालुओं की संख्या अधिक है।