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यहां एक वोट से बदली बीजेपी की किश्मत, जीत सुनकर महिला कार्यकर्ताओं के चेहरे खिल उठे

locationमहासमुंदPublished: Dec 07, 2017 04:50:09 pm

पक्ष-विपक्ष दोनों को मिलाकर कुल 30 वोट पड़े थे, इसका दो तिहाई यानी 20 वोट अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में पड़ जाता तो बंसल की कुर्सी चली जाती।

CG news
महासमुंद. नगर पालिका उपाध्यक्ष कौशिल्या बंसल की कुर्सी एक वोट से बच गई। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बुधवार को मतविभाजन हुआ, जिसमें अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 19 और विपक्ष में 11 वोट पड़े। कुल मतदान का दो तिहाई मत नहीं मिलने पर अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया। पक्ष-विपक्ष दोनों को मिलाकर कुल 30 वोट पड़े थे, इसका दो तिहाई यानी 20 वोट अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में पड़ जाता तो बंसल की कुर्सी चली जाती।
पालिका के सामने गहमागहमी का माहौल और पुलिस के कड़े पहरे के बीच पालिका कार्यालय के सभाकक्ष में अविश्वास प्रस्ताव पर सम्मिलन की कार्रवाई सुबह 11 बजे शुरू हुई। कलक्टर एवं विहित प्राधिकारी हिमशिखर गुप्ता द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के लिए अपर कलक्टर ओंकार यदु को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया था। पीठासीन अधिकारी ने सम्मिलन में अविश्वास प्रस्ताव की जानकारी देने के बाद मत विभाजन की प्रक्रिया पूरी कराई। सम्मिलन में राकांपा पार्षद महेन्द्र जैन को छोड़कर सभी 28 पार्षद, नपा उपाध्यक्ष कौशिल्या बंसल और पालिकाध्यक्ष पवन पटेल उपस्थित थे।
उपस्थित सभी 30 सदस्यों ने मतदान किया और दोपहर एक बजे मतों की गिनती कर परिणाम घोषित किया गया। पीठासीन अधिकारी ने बताया कि अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 19 और विपक्ष में 11 वोट पड़े। नगर पालिका अधिनियम की धारा 43 के अनुसार कुल मतों का दो तिहाई मत नहीं मिलने के कारण अविश्वास प्रस्ताव पर ध्वस्त हो गया। विरोधी पार्षदों ने इस फैसले को नियम विरुद्ध बताया है। पार्षद खिलावन बघेल, संजय शर्मा, राजू साहू, शोभा शर्मा, देवीचंद राठी, राजेन्द्र चंद्राकर, विजय साव सहित कुल 10 पार्षदों ने पीठासीन अधिकारी के समक्ष लिखित आपत्ति दर्ज कराई है तथा इसकी प्रतिलिपि कलक्टर व मुख्य नपाधिकारी को भी दी गई है। उनका कहना कि नगर पालिका अधिनियम 1965 की धारा 43 (क) में स्पष्ट नियम है कि उपाध्यक्ष के विरुद्ध आधे से अधिक मत पडऩे पर उसे हटाया जाएगा। यहां पालिका उपाध्यक्ष को हटाने के लिए आधे से अधिक 19 मत पड़े फिर भी पीठासीन अधिकारी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को ध्वस्त कर दिया गया। पार्षदों ने मांग की है कि प्रस्ताव ध्वस्त होने पर रोक लगाते हुए नियमानुसार आधे से अधिक मत अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में पडऩे के आधार पर उपाध्यक्ष कौशिल्या बंसल को तत्काल पद मुक्त किया जाए।
इन पार्षदों का कहना है कि दो तिहाई का आंकड़ा प्रस्ताव के पारित होने के लिए नहीं, बल्कि सम्मिलन में निर्वाचित पार्षदों की उपस्थिति के लिए है। विरोधी पार्षदों की इस बात को पीठासीन अधिकारी ने गुमराह करने वाला बताया है। उन्होंने कहा सम्मिलन में दो तिहाई निर्वाचित पार्षदों की उपस्थिति जरूरी नहीं है, सम्मिलन तो तय तिथि व समय पर होता है, चाहे कोई आए या ना आए। सम्मेलन की पूरी कार्रवाई नियमानुसार हुई है। अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त होने पर भाजपा में खुशी की लहर दौड़ गई। कौशिल्या बंसल भाजपा पार्षदों के साथ पालिका से बाहर निकली तो कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी और आतिशबाजी कर खुशी जताई।

भाजपा ने जीती प्रतिष्ठा की लड़ाई
भाजपा की सत्ता वाली इस पालिका में उपाध्यक्ष की कुर्सी भी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई थी। राकांपा से चुनाव जीते नपाध्यक्ष पवन पटेल के भाजपा प्रवेश के पहले उपाध्यक्ष का पद ही पालिका में भाजपा का शीर्ष पद था। पालिका में राजनीतिक समीकरण बदला तो भाजपा खेमे में भी अंदरखाने दंगल मचने लगा। भाजपा को सम्मिलन के ठीक एक दिन पूर्व ही अपने निर्वाचित पार्षद और पालिका के नेता प्रतिपक्ष रहे विक्रम ठाकुर को पार्टी से निकालना पड़ा। वहीं सम्मिलन के दौरान सुबह से जिलाध्यक्ष इंद्रजीत गोल्डी, पूर्व राज्यमंत्री पूनम चंद्राकर, पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रहास चंद्राकर, ऐतराम साहू सहित पार्टी के सभी प्रमुख नेता पालिका के सामने डटे हुए थे। इस दौरान प्रमुख नेता ने भाजपा के दो अन्य पार्षदों के खिलाफ खुलेआम जैसी प्रतिकूल टिप्पणी की, इससे साफ है कि क्रास वोटिंग का डर सता रहा था। उधर सर्किट हाउस में भाजपा पर्यवेक्षक एवं छग राज्य गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष भूपेन्द्र सव्वनी, भाजपा प्रदेश मंत्री शंकर अग्रवाल आदि नेता मौजूद थे।

हाईकोर्ट तक दौड़
26 मई 2017 को पार्षद शकील खान, खिलावन बघेल, दुर्गेश्वरी चंद्राकर, शोभा शर्मा, राजेन्द्र चंद्राकर, राजू साहू, लखन चंद्राकर, चंद्रशेखर जलक्षत्री, विजय साव ने कलक्टर एवं विहित प्राधिकारी को हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौंपकर उपाध्यक्ष के प्रति अविश्वास जताया था। हस्ताक्षर सत्यापन के बाद कलक्टर ने १७ जुलाई को सम्मिलन की तारीख तय की। लेकिन सम्मिलन के दिन ही हाईकोर्ट का स्थगन आदेश लाकर बंसल ने इसे रोक लिया था। २९ सितंबर को हाईकोर्ट ने क्लॉस वन अधिकारी की उपस्थिति में उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर प्रक्रिया कराए जाने का आदेश दिया। इस पर कलक्टर ने ६ दिसंबर को सम्मिलन की तारीख तय की थी।
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