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पत्रिका चेंजमेकर: हम थाम लें मशाल तो रोशन हो जाए राजनीति, देश और समाज

locationमहासमुंदPublished: May 18, 2018 12:09:30 pm

लोकतंत्र में राजनीति पवित्र गंगा है, जरूरत है सफाई की

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पत्रिका चेंजमेकर: हम थाम लें मशाल तो रोशन हो जाए राजनीति, देश और समाज

महासमुंद. स्वच्छ राजनीति के लिए पत्रिका द्वारा चलाए जा रहे चेंजमेकर महाअभियान के अंतर्गत गुरुवार को स्वाध्याय केन्द्र में आयोजित परिचर्चा में नगर के ख्यात अधिवक्ताओं ने उक्ताशय के विचार व्यक्त किए। अध्यक्षीय उद्बोधन में अधिवक्ता संघ महासमुंद के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि ऐसा नहीं कि राजनीति में बुरे लोग ही आते हैं। अच्छे लोग आते हैं, किन्तु आने के बाद परिस्थितियों के प्रवाह में बहते हुए तमाम दबाव हित समूहों को मैनेज करते-करते राजनीतिक शुचिता खो देते हैं। अच्छे लोग यह सोचकर आगे आएं कि चाहे परिस्थितियों कितनी ही विपरीत क्यों न हो, देश और समाज के लिए उससे जूझकर निकलेंगे।

वकील स्वयं आए आगे

वकील समुदाय का राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। समाज को सैदव दिशा देने, रोशनी दिखाने का काम करते रहे हैं, तब क्यों न स्वयं आगे आएं। किसी मंच की आवश्यकता नहीं, छोटे स्तर पर ही हम स्वच्छ राजनीति की कदम बढ़ाकर अपने विचारों और प्रयासों से लोगों की सोच और धारणा को परिवर्तित कर सकते हैं और उन्हें सहभागी बना सकते हैं। हम थाम लें मशाल तो रोशन हो जाए राजनीति, देश और समाज।

स्वच्छ राजनीती का लिया संकल्प

अधिवक्ता साधना सिंह ठाकुर ने कहा कि जिस तरह मैच फिक्स हो रहे हैं, उसी तरह राजनीति में भी फिक्सिंग चल रही है। अधिवक्ता भरत सिंह ठाकुर ने राजनीति में क्वालिफिकेशन की वकालत की। सभी अधिवक्ताओं ने स्वच्छ राजनीति के लिए तीन संकल्प लिए। परिचर्चा में संजीव कुमार पण्डा, नरेन्द्र कुमार सिन्हा, चंद्रहास कश्यप, मणिराम साहू, ऋषिकुमार शर्मा, पिंकू साहू, शैलेन्द्र कुमार साहू आदि प्रतिभागी रहे।

स्वयं व्यवस्था का अंग बनें या वोट का सही इस्तेमाल करें।

अधिवक्ता टी दुर्गा ज्योतिराव ने कहा कि लोग अच्छे-बुरे नहीं, परिस्थितियों के उथल-पुथल में व्यवस्था बिगड़ गई है। देश के शासन-प्रशासन में राजनीति सबसे महत्वपूर्ण है। राजनीति में स्वच्छता के पहले हम अपने सामाजिक दृष्टि से देखें कि हम कितने स्वच्छ हैं।अधिवक्ता देश को हमेशा से दिशा देते रहे हैं।जब तक विचार नहीं आएंगे परिवर्तन की दिशा तय नहीं कर पाएंगे। आजादी के बाद लोग वर्गों में बांट दिए गए, उनके लिए योजनाएं भी बनाते गए, लेकिन क्या योजनाएं उन तक पहुंच रही हैं। इसमें हम सही भूमिका अदा कर पाएं तो राजनीति भी स्वच्छ होगी। लुभावना घोषणा-पत्र और चुनाव में चेपटी कटु सच है। अंगूठा टेक विधायका में हैं। राजनीति इसी कारण प्रदूषित हुई है। इसे स्वच्छ करने के लिए हम स्वयं व्यवस्था का अंग बनें या वोट का सही इस्तेमाल करें।

व्यापक जन-मानस तैयार करने की जरूरत

वरिष्ठ अधिवक्ता भूपेन्द्र राठौर ने कहा कि जब आजाद हुआ देश उस समय राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े चरित्रवान, त्यागी लोग थे। आजादी का लक्ष्य हासिल करने के बाद ऐसे अच्छे लोग पीछे रहने लगे और स्वार्थ का लक्ष्य लेकर आने वाले लोग राजनीति में स्थापित होते गए। आज देश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी जो क्राइटेरिया बना रखी है, उसमें उनका नेता कैसा भी हो, पर चुनाव जीतने वाला हो। अच्छे लोग राजनीति में आएं और टिकें भी, उसके लिए व्यापक जनमानस तैयार करने की आवश्यकता है।

धन-बाहुबल का जोर

वरिष्ठ अधिवक्ता माधव टाकसाले ने कहा कि राजनीति में धनबल और बाहुबल का जोर है, इसलिए अच्छे लोग राजनीति में नहीं आना चाहते। जब पैसा नहीं तब चुनाव कैसे लड़ेंगे। औरों की बात छोड़ दें, जब भी कोई राजनीति में नेता के रूप में सामने आता है, उसी दिन से उस पर विज्ञापन देने का दबाव बनने लगता है। मीडिया विज्ञापन का लोभ छोड़ दे तो राजनीति में धन बल का प्रभाव कम हो।
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