रात होने की वजह से हाथी को देख नहीं पाए। मिली जानकारी के अनुसार बिसौहा गोंड (38) और गोविन्द पटेल (28) की हाथियों ने कुचल दिया , जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। गांव में दहशत का माहौल है। गौरतलब है 4 साल में हाथियों के हमले से मौत की संख्या बढ़कर 18 हो गई है। घटना सोमवार की रात 8 बजे के आसपास की बताई जा रही है।
पिछले एक हफ्ते से 23 हाथी कई गांवों के आफत बने हुए हैं। रोज धान की फसल को नुकसान भी पहुंचा रहे हैं। इसे देखते हुए ग्रामीण अपने संसाधनों से गांवों में धमक रहे हाथियों को खदेडऩे की कोशिश भी कर रहे हैं। वहीं दर्जनभर गांवों को ईआरबी तकनीक से कुछ हद तक राहत मिली है। बताया जाता है कि खड़सा, लहंगर आदि गांवों में ईआरबी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इससे फसल नुकसान भी कम हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक ईआरबी तकनीक के तहत गांवों के इलाकों में दो तार खींचे जाते हैं। इसमें सोलर बैटरी से हल्की करंट प्रभावित होती है। जैसे ही हाथी इन तारों के संपर्क में आते हैं, उन्हें झटका लगता है और वे उस ओर नहीं आते हैं यानि की अपनी दिशा बदल देते हैं। हाथी भगाओ फसल बचाओ समिति के संयोजक राधेलाल सिन्हा ने बताया कि ईआरबी तकनीक से राहत मिल रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों के लोकेशन की जानकारी नहीं मिल रही है। हालांकि, गश्त दल हाथी प्रभावित क्षेत्रों में हाथियों के धमकने की सूचना पर पहुंच रहा है। डीएफओ मयंक पांडेय ने बताया कि हाथी प्रभावित कुछ गांवों में मिट्टी तेल का वितरण कर दिया गया है। टार्च का भी वितरण किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया चल रही है।