इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की मशरूम अनुसंधान प्रयोगशाला के वैज्ञानिक के मार्गदर्शन में 12 वर्षों से राजेंद्र साहू मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। प्रतिदिन 5 से 10 किलो मशरूम का उत्पादन होता है। 200 से 300 रुपए प्रति किलो में इसकी बिक्री हो रही है। कृषि विज्ञान केंद्र के एसके वर्मा और एसएल अली ने बताया कि इस तकनीक में राजेंद्र साहू आम के पेड़ों के छांव के नीचे लोहे की पाइप पर धान के गट्टों में पैरा मशरूम डाल कर उत्पादन करते हैं।
राजेंद्र कुमार मशरूम उत्पादन ही नहीं, स्पॉन का भी उत्पादन करते हैं। मशरूम उत्पादन के बाद अपशिष्ट पदार्थ से केंचुआ खाद का निर्माण भी करते हैं और खाद का निर्माण कर उसे विक्रय भी करते हैं। इस तकनीक का आस-पास के किसानों को लाभ मिल रहा है। वर्तमान में मशरूम की मांग बढ़ गई है। उत्पादन अच्छा होने पर वर्षभर मशरूम की खरीदी होती है। होटल संचालक और लॉज आदि में ज्यादा मांग रहती है। इस कारण इसकी खपत बढ़ रही है।